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ट्राइफेड के महानिदेशक और चेयरमैन में प्रतिस्पर्ध्दा, कल होगा फैसला

ट्राइफेड के अध्यक्ष रामसिंह राठवा ने दो प्रशासनिक निर्णयों पर अपने प्रबंध निदेशक गीतांजलि गुप्ता को अगली बोर्ड बैठक तक निलंबित कर दिया है.

लेकिन, शनिवार के दिन निलंबन का आदेश ट्राइफेड (द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) के प्रशासनिक मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा “अमान्य” घोषित कर दिया गया था.

19 अक्टूबर को जारी निलबंन आदेश पर राठवा ने हस्ताक्षर किए हैं. वहीं ट्राइफेड अध्यक्ष ने इस प्रकरण पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है

उन्होंने कहा की “अंतिम निर्णय 27 अक्टूबर को बोर्ड बैठक में लिया जाएगा”.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एक आदेश में कहा कि गुप्ता को कैबिनेट की नियुक्ती समिति द्वारा ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था.

इसके साथ ही राठवा ने 19 अक्टूबर को कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया था. जिसके तहत गीतांजलि गुप्ता को निलबंन आदेश जारी किया है. जिसे की अब अमान्य माना जा रहा है.

इसके साथ ही जनजातिय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने मीडिया को बताया की ट्राइफेड के एमडी की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी द्वारा की जाती है. इस बारे में कार्मिक मंत्रालय और ट्राइफेड के अध्यक्ष को बता दिया गया है.

सूत्रों के अनुसार, गुप्ता के निलंबन का तात्कालिक कारण 18 अक्टूबर (बुधवार) को उनके ऑफिस की तरफ से जारी एक आदेश है. इस आदेश में चेयरमैन के ऑफिस में नियुक्त एक व्यक्ति को एक्सटेंशन देने से मना कर दिया गया था.

दूसरा आदेश अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी इच्छा के विरुद्ध एक अधिकारी को नियुक्त करने का था.

गुप्ता के निलंबन आदेश में कहा गया की राठवा ने 18 अक्टूबर का गुप्ता द्वारा जारी आदेश रद्द कर दिया क्योंकि यह “उनकी जानकारी के बिना” जारी किया गया था .

निलंबन आदेश में कहा गया, “राठवा ने फैसला किया है की 27 अक्टूबर को बोर्ड की अगली बैठक में प्रशासनिक कुप्रबंधन में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव रखेंगे. इस बारे में बोर्ड ही अंतिम फ़ैसला ले.”

वहीं एक सूत्रों के अनुसार इस साल मार्च से राजनीतिक रूप से नियुक्त राठवा और नौकरशाह गुप्ता के बीच एक प्रशासनिक युद्ध चल रहा है.

दरअसल एमडी के कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें दो आरएसएस-संबद्ध संगठनों – अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम और सहकार भारती को “राजनीतिक” के रूप में पहचाना गया था.

राठवा ने 23 मार्च को गुप्ता सहित ट्राइफेड के अधिकारियों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन के संबंध में आरएसएस के दो सहयोगियों के साथ बैठक में उपस्थित रहने के लिए कहा था.

इसलिए 24 मार्च को ट्राइफेड के महाप्रबंधक, अमित भटनागर ने राठवा को लिखा कि उनका पत्र सेवा नियमों के खिलाफ है, “जो की अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी  हर समय राजनीतिक तटस्थता बनाए रखे.

28 मार्च को बैठक के दिन, वनवासी कल्याण आश्रम और सहकार भारती दोनों के अधिकारी उपस्थित थे और उन्होंने पत्र में अपने संगठनों को “राजनीतिक निकाय” के रूप में वर्णित करने पर अपना विरोध दर्ज कराया है.

ट्राइफेड की ओर से केवल अध्यक्ष राठवा उपस्थित थे, जो भाजपा के पूर्व सांसद हैं.

आदिवासी विकास से जुड़ा ट्राइफेड एक महत्वपूर्ण संस्थान है. इस संस्थान में नौकरशाह और राजनीतिक तौर पर नियुक्त अध्यक्ष के बीच यह प्रतिस्पर्ध्दा बिलकुल अच्छी नहीं है.

इस घटना ने इस आरोप को और बल दे दिया है कि वर्तमान सरकार के समय में संस्थानों में ज़बरदस्ती आरएसएस के संगठनों को प्रवेश दिया जा रहा है.

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