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मणिपुर हिंसा को लेकर राष्ट्रपति से मिला कांग्रेस डेलिगेशन, उच्च स्तरीय जांच सहित रखीं 12 मांगें

मणिपुर (Manipur) में जारी हिंसा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) के नेतृत्व में एक डेलिगेशन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) से मिला और राज्य में शांति बहाली की मांग की. इस दौरान कांग्रेस के मणिपुर के तमाम नेता उसके साथ थे.

डेलिगेशन ने राष्ट्रपति को चार पन्ने की रिपोर्ट सौंपी. कांग्रेस (Congress) ने आरोप लगाया कि बीजेपी (BJP) की ध्रुवीकरण की राजनीति को लेकर मणिपुर जल रहा है. मणिपुर में  3 मई से हिंसा हो रही है और बीजेपी को इसकी कोई परवाह नहीं है. क्योंकि बीजेपी का सारा ध्यान कर्नाटक चुनाव में था.

कांग्रेस डेलिगेशन ने 12 प्वाइंट्स में एक्शन प्लान बनाकर राष्ट्रपति को सौंपा है, जिसको फॉलो कर राज्य में हिंसा को रोका जा सकता है.

राष्ट्रपति से मुलाकात के तुरंत बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस महासचिव संचार जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी “विभाजनकारी राजनीति ने 2001 में मणिपुर को जला दिया था और 2023 में राज्य को फिर से जला रही है.”

कांग्रेस के ज्ञापन में पिछले कुछ हफ्तों में राज्य में हिंसा की कई घटनाओं को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि “केंद्र सरकार को तुरंत सभी आतंकवादी समूहों (एसओओ के तहत आने वाले समूह भी) को नियंत्रित करने और सीमित करने के लिए सभी संभव उपाय करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी सशस्त्र नागरिक समूहों को उचित कार्रवाई करके तत्काल रोका जाए.”

पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित करने सहित 12 मांगें रखी हैं.

अन्य मांगों में विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए कदम उठाना, जान गंवाने वालों या लापता लोगों की पहचान करना और सभी पीड़ितों और प्रभावित व्यक्तियों को सम्मानजनक और उचित मुआवजे का भुगतान शामिल है.

राज्य में पिछले कुछ दिनों से जातीय हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य के हालात अब भी सामान्य नहीं हैं. इस बीच आज यानी मंगलवार, 30 मई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) राज्य के दौरे पर हैं.

अगले कुछ दिनों तक गृह मंत्री यहीं रुकेंगे और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही अलग-अलग पक्षों और सिविल सोसाइटी संस्था के लोगों से भी मिलेंगे. बैठक में राज्य में जारी हिंसा को रोकने को लेकर चर्चा होगी. कल उन्होंने मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक भी की थी.

इधर हमार, कुकी, मिजो और जोमी जनजातियों के विभिन्न सिविल सोसाइटी और छात्र संगठनों के समूह मणिपुर स्थित इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (Indigenous Tribal Leaders’ Forum) ने सोमवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.

आदिवासी संगठन ने एक बयान जारी कर राज्य में अशांति के लिए कथित रूप से जिम्मेदार होने के लिए मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बर्खास्त करने की भी मांग की है.

वहीं आईटीएलएफ ने राज्य बलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और निर्दोष ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए केंद्र से संघर्षग्रस्त राज्य में अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र बलों को तैनात करने का आग्रह किया.

इसके अलावा इन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी और एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार 3 मई से आदिवासियों के खिलाफ जातीय सफाया कर रही है. कथित जातीय सफाई में आदिवासियों के कई गांवों को जला दिया गया और कई निर्दोष आदिवासियों को मार दिया गया.

आईटीएलएफ ने ये भी आरोप लगाया है कि मणिपुर पुलिस की वर्दी में छिपे हुए घाटी (मैतेई) के भूमिगत कैडर अपराधी थे, जो आदिवासियों के खिलाफ अंतहीन भयानक अपराध की ओर ले जा रहे थे.

इन्होंने सीएम बीरेन सिंह के इस दावे का भी खंडन किया कि सस्पेंशन ऑफ़ ऑपरेशन (SOO) के तहत ट्राइबल अंडरग्राउंड ग्रुप झड़पों में शामिल थे.

इससे पहले रविवार को सिंह ने दावा किया था कि सुरक्षा बलों ने कम से कम 33 आदिवासी उग्रवादियों को मार गिराया है.

अधिकारियों ने कहा कि इस बीच मणिपुर से आंतरिक रूप से विस्थापित 8,282 लोग मिजोरम भाग गए हैं और राज्य के नौ जिलों में शरण ली है.

जंतर-मंतर पर कुकी और अन्य जनजातियों के सदस्यों का प्रदर्शन

हमार, कुकी, मिजो और जोमी जनजाति की सैकड़ों महिलाओं ने सोमवार को यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और मणिपुर में तनाव को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार से ‘‘उचित हस्तक्षेप’’ की मांग की.

प्रदर्शनकारी पोस्टर और राष्ट्रीय ध्वज लेकर प्रदर्शन स्थल पर इकट्ठे हुए और न्याय की मांग के नारे लगाए. बारिश के बीच भी उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा.

मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

राज्य में हालात सामान्य करने के लिए अर्धसैनिक बलों के अलावा सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां तैनात करनी पड़ीं, जिनमें 10 हज़ार से अधिक कर्मी शामिल हैं.

(Image Source: PTI)

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