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हिरासत में हुई मौत को आत्महत्या दिखाने की साज़िश!

तमिलनाडु के तिरुप्पुर ज़िले के उदमलपेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिस में एक आदिवासी व्यक्ति की संदिग्ध हालत में हुई मौत के बाद विवाद खड़ा हो गया है.

मृतक की पहचान 50 वर्षीय पी. मारिमुथु के रूप में हुई है.

मृतक मुथुवन जनजाति से संबंधित था और अनामलाई टाइगर रिज़र्व की एक बस्ती का निवासी था.

वन विभाग का कहना है कि मारिमुथु ने पूछताछ के दौरान ऑफिस के शौचालय में आत्महत्या कर ली.

दूसरी ओर, मृतक के परिवार और आदिवासी संगठनों ने इसे कस्टडी में हत्या का मामला बताया है और वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

गांजा केस में बरी होने के बाद हुई घटना

मारिमुथु पर वर्ष 2022 में गांजे से जुड़े एक मामले में केस दर्ज हुआ था.

इस मामले से उसे उदमलपेट कोर्ट ने हाल ही में बरी कर दिया था.

अगली सुबह, 30 जुलाई को वह कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद केरल के सुरियानेल्ली, मुन्‍नार में अपने घर वापस जा रहा था.  

घर लौटते समय, केरल-तमिलनाडु सीमा पर स्थित चिन्नार चेकपोस्ट पर उनकी बस की तलाशी के दौरान केरल आबकारी विभाग (Kerala Excise Department) को उनके पास कथित रूप से तेंदुए के दांत जैसी वस्तु मिली.

इसके बाद उन्हें केरल वन विभाग के हवाले किया गया और पूछताछ के बाद तमिलनाडु के उदमलपेट फॉरेस्ट रेंज को सौंप दिया गया.

अधिकारियों का कहना है कि मारिमुथु ने पूछताछ में बताया था कि यह दांत उन्हें उदमलपेट निवासी शंकर नामक व्यक्ति ने दिए थे.

इसी सिलसिले में उन्हें 31 जुलाई की रात करीब 12 बजे फॉरेस्ट रेंज ऑफिस लाया गया.

सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या का दावा

वन विभाग के अनुसार, पूछताछ के दौरान मारिमुथु ने सुबह 4:30 बजे शौचालय जाने की अनुमति मांगी. इसके बाद उन्हें फंदे से लटका पाया गया.

उन्हें तुरंत उदमलपेट जनरल अस्पताल ले जाया गया.

अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

परिवार और संगठनों का आरोप

मृतक की पत्नी पांडियम्मल और बेटी एम. सिंधु ने आरोप लगाया है कि मारिमुथु को गुप्त रूप से हिरासत में लिया गया था और उन्हें मौत की सूचना अचानक दी गई.

परिवार का कहना है कि मारिमुथु हिम्मती और मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति थे और आत्महत्या करने का सवाल ही नहीं उठता.

उन्होंने इस घटना को वन विभाग द्वारा की गई प्रताड़ना और हत्या बताया है.

आदिवासी संगठनों और CPI(M) ने किया विरोध प्रदर्शन

घटना के बाद तमिलनाडु ट्राइबल एसोसिएशन, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं और सीपीआई (एम) पार्टी से जुड़े लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया.

उनका कहना है कि यह एक स्पष्ट रूप से हिरासत में हत्या का मामला है और इसके लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिए.

जांच के आदेश

उदमलपेट पुलिस ने मामले की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 196 के तहत हिरासत में मौत का मामला दर्ज किया है.

मृतक के परिजनों ने पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराने और सीनियर अधिकारियों की निगरानी में जांच की मांग की है.

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