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महाराष्ट्र के आदिवासी इलाक़ों में कोविड की दूसरी लहर में मौत 4 गुना बढ़ीं

कोरोनावायरस की दूसरी लहर से महाराष्ट्र के आदिवासी इलाक़ों में मौत की संख्या 4 गुना तक बढ़ गई हैं. इस सिलसिले में एक स्टडी के आँकड़े चिंता पैदा करने वाले हैं.

इस स्टडी के अनुसार कोरोनावायरस की पहली लहर में विदर्भ के गढ़चिरौली ज़िले में 9020 लोग कोरोनावायरस की चपेट में आए थे. इनमें से 106 लोगों की मौत हो गई थी. 

इस लिहाज़ से कोरोनावायरस से मृत्यु दर क़रीब 1.13 प्रतिशत रही थी. जबकि इस ज़िले में कोरोनावायरस की दूसरी लहर में 19969 लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं. इन संक्रमित लोगों में से कम से कम 602 लोगों की मौत इस वायरस की वजह से हो चुकी है.

इन आँकड़ों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में यहाँ मृत्यु दर 1.13 से बढ़ कर 3.01 प्रतिशत हो गई है. आदिवासी इलाक़ों में पहली लहर और दूसरी लहर के बीच 9 महीने में यह फ़र्क़ आया है.

महाराष्ट्र के दो और आदिवासी बहुल ज़िले गोंडिया और चंद्रपुर में भी दूसरी लहर ने ज़्यादा तबाही मचाई है. इसके अलावा अमरावती ज़िले में कोविड की पहली लहर की तुलना में मौतों की संख्या दो गुना हो गई है. 

लेकिन आँकड़ों में यह मौत की दर में कमी दर्ज हो रही है. इसकी वजह है कि दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. इसलिए संक्रमितों की संख्या की तुलना में मौत के आँकड़ों का प्रतिशत कम नज़र आ रहा है.

लेकिन संख्या के लिहाज़ से देखेंगे तो यह आँकड़ा काफ़ी बढ़ गया है. मसलन नंदुरबार ज़िले के आँकड़ों को देखिए. यहाँ पर कोविड की पहली लहर में कुल 8703 लोगों में कोरोना संक्रमण रिपोर्ट हुआ था. 

इन कुल संक्रमित लोगों में से 295 लोगों की मौत हो गई थी. इस आँकड़े के लिहाज़ से देखें तो पहली लहर में यहाँ मृत्यु दर लगभग 2.24 प्रतिशत रही. 

अब दूसरी लहर के आँकड़े देखें. कोविड की दूसरी लहर में ज़िले में औपचारिक तौर पर कुल 28580 लोग वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.  इन संक्रमित लोगों में से 610 लोगों की मौत हो गई है. 

इन आँकड़ों की तुलना करेंगे तो ऐसा नज़र आता है कि मृत्यु दर कम हो गई है. क्योंकि कोविड की दूसरी लहर में संक्रमितों की तुलना में मरने वालों की संख्या कम है. इस आँकड़े के अनुसार कोविड-19 की दूसरी लहर में यहाँ मृत्यु दर 2.13 रही.

यानि इस ज़िले में कोविड मृत्यु दर दूसरी लहर में पहली लहर से मुक़ाबले कम हो गई है. लेकिन संक्रमितों और संक्रमण से मरने वालों की संख्या में दोगुना हो गई है. 

हालाँकि मुंबई के नज़दीक होने के बावजूद पालघर ज़िले के आदिवासी इलाक़ों में कोविड संक्रमण से होने वाली मौत की दर कम रही है. 

महाराष्ट्र के आदिवासी इलाक़ों में मौत की दर बढ़ने की कई वजह बताई जा रही हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह आदिवासी इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का कमज़ोर होना बताया जा रहा है.

आदिवासी और ग्रामीण इलाक़ों में ऑक्सीजन और ज़रूरी दवाओं का नितांत अभाव था. इस वजह से जो लोग अस्पतालों तक नहीं पहुँच पाए, उनमें से कुछ लोगों की मौत हो गई. 

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