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ओडिशा: आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ में स्वास्थ्य प्रणाली का बुरा हाल, समय पर इलाज न मिलने से महिला की मौत

ओडिशा के आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सवालों के घेरे में है. बीरमित्रपुर नगर पालिका में घर पर बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटों बाद हाल ही में एक 30 साल की महिला की मौत के बाद ऐसा हुआ है.

महिला को मदद के लिए कोई आशा कार्यकर्ता नहीं थी, और न ही एम्बुलेंस समय पर उसके घर तक पहुंच पाई.

घटना मंगलवार देर दोपहर बीरमित्रपुर नगर पालिका के वार्ड 11 के तहत तलसारा इलाके के पतराटोली को है.

परिवार के लोगों ने बताया कि द्रौपदी मांझी ने मंगलवार सुबह एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया लेकिन कुछ घंटों बाद ही उसकी खुद की हालत बिगड़ने लगी. द्रौपदी की भाभी सरस्वती ने कहा कि उन्होंने एक एम्बुलेंस को बुलाया लेकिन वो सीधे उनके घर नहीं पहुंच सकी, क्योंकि उनके घर से सड़क तक की दूरी 200 मीटर से ज्यादा है.

घर तक पहुंचने के लिए खेत के बीच से पैदल होकर जाना पड़ता है. जब तक द्रौपदी को एम्बुलेंस तक खाट में ले जाया गया, उसकी मौत हो गई.

बिरमित्रपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्रौपदी के घर से करीब तीन किलोमीटर दूर है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अनुसार, संबंधित आशा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करें और संस्थागत प्रसव भी सुनिश्चित करें.

द्रौपदी के मामले में, उसकी डिलीवरी में मदद करने के लिए कोई भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं था.

संयोग से, सितंबर 2020 से, प्रशासन स्वतंत्र मातृज्योति योजना के तहत District Mineral Foundation (DMF) से प्रसव पूर्व देखभाल के लिए एक बड़ी राशि खर्च कर रहा है. इस पहल के तहत, संबंधित इलाकों की आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती माताओं को अल्ट्रा-साउंड और नियमित जांच के लिए एस्कॉर्ट करती हैं ताकि गर्भावस्था से संबंधित मुश्किलों का जल्द पता लगाया जा सके और जरूरी इलाज किया जा सके.

मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके मिश्रा ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा, “मैंने यह पता लगाने के लिए रिपोर्ट मांगा है कि क्या गलती हुई और स्वास्थ्य प्रणाली और संस्थागत प्रसव को मजबूत करने के लिए क्या सुधार करना होगा.”

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