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केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में आदिवासियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग

कई आदिवासी कल्याण संगठनों ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से आंध्र प्रदेश के केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय को मजबूत करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सरकार 2024-2025 शैक्षणिक वर्ष और अपने स्थायी परिसर की स्थापना से पहले शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की मंजूरी के लिए उपाय करे.

क्योंकि आदिवासी समुदाय के अधिक से अधिक युवा उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होंगे.

विश्वविद्यालय जो वर्तमान में पुराने एयू कैंपस (AU campus) में काम कर रहा है, वह 2024-25 शैक्षणिक वर्ष से ही नए पाठ्यक्रम शुरू करने का इच्छुक है क्योंकि स्थायी भवनों का निर्माण पार्वतीपुरम-मण्यम जिले के सालुरु विधानसभा क्षेत्र में कुछ वर्षों में होगा.

विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि वह सलुरु निर्वाचन क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण और स्थायी संरचनाओं के लिए धन की मंजूरी के समर्थन के लिए सरकार के आभारी हैं. इस पहल से विश्वविद्यालय में सीटों की मांग बढ़ी है. अगर भर्ती प्रक्रिया के लिए मंजूरी मिल जाती है, तो वो इसी साल नए पाठ्यक्रम शुरू कर सकते हैं.

इसके अलावा ट्राइबल राइट फोरम के राज्य अध्यक्ष रोब्बा लोवाराजू (Robba Lovaraju) ने सरकार से आगामी शैक्षणिक वर्ष में आदिवासी छात्रों के लिए प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए तुरंत नए पदों को मंजूरी देने की पहल करने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि आम चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती है इसलिए उसे तुरंत जरूरी कदम उठाने होंगे.

रोब्बा लोवाराजू ने यह भी कहा कि जब तक शिक्षण संकाय की भर्ती नहीं होती, विश्वविद्यालय तुरंत नए पाठ्यक्रम शुरू नहीं कर सकता.

इसके साथ ही शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में आदिवासियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती अभियान के संबंध में पदों को भरने के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण की भी मांग की है.

पार्वतीपुरम-मान्यम ज़िले के आदिवासी युवा संगठन के नेता के. रमना ने कहा कि आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा के दूरदराज के इलाकों के छात्र तभी उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे जब केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के सभी पहलुओं में मजबूत किया जाएगा.

इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के राज्य प्रवक्ता और विजयनगरम ज़िले के संयोजक के. दयानंद (K. Dayanand) ने सरकार से मेंटाडा-सलूर मार्ग में रोड के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा करने का आग्रह किया. क्योंकि यह विश्वविद्यालय के निर्माण स्थल पर सामग्री के परिवहन के लिए वाहनों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण है.

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