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आंध्र प्रदेश की आदिवासी बस्तियों में बुख़ार से भय, हैल्थ कैंप की माँग

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम ज़िले के आदिवासी इलाक़ों में कोविड 19 संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ रही है. विशाखा एजेंसी क्षेत्र के कोयुरू मंडल की कुछ बस्तियों में लोगों को बुख़ार आ रहा है.

हालाँकि इस मौसम में इन आदिवासी बस्तियों में बुख़ार एक आम बीमारी होती है. लेकिन कोविड संक्रमण के इस दौर में लोगों में भय का माहौल है. दूसरा मसला ये है कि इस क्षेत्र की कई आदिवासी बस्तियाँ ऊँची पहाड़ियों पर बसी हैं.

इसके अलावा कई बस्तियाँ हैं जहां तक जाने के लिए पगडंडी ही इस्तेमाल होती है. इन बस्तियों में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसको शहर के अस्पताल तक लाने के लिए डोली का इस्तेमाल किया जाता है.

इस इलाक़े में कई आदिम जनजाति समूह भी रहते हैं

इस इलाक़े में कई आदिम जनजाति समूह (PVTG) भी रहते हैं. इन आदिवासियों की बस्तियाँ दुर्गम इलाक़ों में बसी हैं. इन बस्तियों में पीने के पानी या बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं हैं. 

इसी तरह की एक बस्ती है जाजुलाबंधा (Jajulabandha), जिसके बारे में बताया गया है कि यहाँ 27 आदिवासी परिवार रहते हैं. इस बस्ती में कम से कम 20 लोगों को बुख़ार आ रहा है. 

इस बस्ती में अभी भी लोग झरने से ही पानी पीते हैं और यहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुँची है. इस इलाक़े में काम करने वाले कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस मसले पर चिंता जताई है.

सीपीआई (एम) के स्थानीय नेता के गोविंद राव और एम सुरीबाबू ने इन बस्तियों के लिए एक हेल्थ कैंप लगाने की ज़रूरत बताई है. उनका कहना है कि अगर इन बस्तियों में हालात बिगड़ते हैं तो बेहद मुश्किल होगी.

उन्होंने बताया कि यहाँ कई बस्तियाँ हैं जहां तक जाने के लिए कच्चा रास्ता भी ग्रामीणों ने ख़ुद ही बनाया है. इन रास्तों से सिर्फ़ मोटर साइकल ही जा सकती है. इसलिए यह बेहतर होगा की संकट के गंभीर होने से पहले ही कदम उठाए जाएँ. 

यहाँ पर काम करने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर शुरूआतें में ही जाँच की जाए, तो स्थिति को बिगड़ने से बचाया जा सकता है. जाँच के बाद जो भी परिणाम आते हैं उनके हिसाब से यहाँ पर दवा और इलाज का बंदोबस्त समय से किया जा सकता है. 

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