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NHRC के आदेश के बावजूद भी आदिवासी परिवारों को मुआवजा नहीं दिया गया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ओडिशा के मुख्य सचिव को यह आदेश दिया है कि वे तीन हफ्ते के भीतर आदिवासी मृतकों के परिवार को 5 लाख – 5 लाख रूपये का मुआवज़ा प्रदान करें.

यह बात साल 2022 की है जब केंदुझर ज़िले में स्थित तेलकोई गाँव में तीन आदिवासी महिलाएं गाँव के पास बकरियां चरा रही थी.

लेकिन अचानक से यह सभी बिजली की तार के संपर्क में आ गई. जिसके बाद इन्हें अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल में डाक्टर ने इन्हें मृत घोषित कर दिया.

इन आदिवासी महिलाओं की मृत्यु के कुछ समय बाद, 13 मई 2022 को मानवाधिकार कार्यकर्ता, दिलीप कुमार दास ने एनएचआरसी (NHRC) में याचिका दर्ज की.

जिसके बाद 22 अक्टूबर 2022 को एनएचआरसी ने ओडिशा के मुख्य सचिव से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी.

सरकार ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा कि दुर्घटना का कारण हुकिंग तार था. यह तार बिजली के मैन सर्विस वायर से टूट गई थी.

इस तार को टूटने का जिम्मेदार कुबेर नाइक नाम के किसी व्यक्ति को माना गया था.

कुबेर नाइक के खिलाफ तेलकोई पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई गई थी. कुबेर नाइक पर यह आरोप है कि उसने बिजली चोरी करने की कोशिश की थी.

इसके अलावा रिपोर्ट में बिजली वितरण कंपनी पर यह आरोप लगाया गया है कि वे बिजली चोरी और इससे संबंधित गैर कानूनी काम पर अक्सर कार्रवाई नहीं करते हैं.

30 दिसंबर 2022 को मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया और कई बार इस मामले की सुनवाई भी की.

अंत: में16 जनवरी को एनएचआरसी ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया की मृतक महिलाओं के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रूपये मुआवज़ा दिया जाए.

इसके अलावा मुआवज़ा देने का ज़िम्मा राज्य के मुख्य सचिव और गृह मंत्रालय को दिया गया था. लेकिन यह मुआवज़ा आदिवासी परिवारों को अभी तक नहीं मिला है.

राज्य के मुख्य सचिव और गृह मंत्रालय की लापरवाही पर प्रतिक्रिया देते हुए एनएचआरसी ने आदेश दिया कि वे तीन हफ्ते के भीतर मृतक के परिवारों को उनका मुआवज़ा सौंप दे. इसके साथ ही पेमेंट की रसीद आयोग में जमा करें.

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