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धनगर समुदाय ने दोहराई ST दर्जे की मांग

महाराष्ट्र में धनगर समुदाय लंबे समय से आदिवासी होने का दावा कर रहा है. समय-समय पर ये समुदाय एसटी दर्जे की मांग के लिए प्रदर्शन भी करता रहा है.

जलना ज़िले में पिछले छह दिनों से धनगर समुदाय के कार्यकर्ता और पूर्व पुलिस जवान दीपक बोरहाडे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं.

बोरहाडे लगभग दस साल तक पुलिस विभाग, जलना में कॉनस्टेबल के पद पर कार्यरत रहे. बाद में उन्होंने धनगर समुदाय की आवाज़ उठाने का फैसला लिया. धनगर समुदाय को आरक्षण दिलवाने के लिए पूरे समर्पण से काम कर सकें इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी.

बोरहाडे ने साफ कहा है कि अगर महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत कदम उठाकर धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं दिया तो बड़ा आंदोलन खड़ा होगा.

उनका कहना है कि जब तक सरकार धनगर समुदाय के लिए एसटी आरक्षण की घोषणा नहीं करती तब तक वे कुछ नहीं खाएँगें.

लगातार छह दिन से भोजन न करने के कारण दीपक बोरहाडे की तबीयत बिगड़ चुकी है. डॉक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों ने चिंता जताई है और उनकी हालत पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

अनशन स्थल पर समर्थकों को संबोधित करते हुए बोरहाडे ने कहा कि जब संविधान में धनगर समाज को एसटी सूची में दर्ज किया गया है तो उसे मान्यता क्यों नहीं दी जा रही.

उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही स्पष्ट किया है कि जो जाति या जनजाति एससी-एसटी की सूची में शामिल है, उसके लिए अलग से पिछड़ेपन की जांच आवश्यक नहीं है.

अभी धनगर (चरवाहा) समुदाय घुमंतू जाति (Nomadic Tribe) वर्ग में आते हैं और इन्हें 3.5% आरक्षण मिलता है. अगर उन्हें एसटी दर्जा मिला तो उनका कोटा 7 प्रतिशत हो जाएगा.

बोरहाडे ने घोषणा की है कि 24 सितंबर को जलना में ‘अल्टीमेटम मार्च’ निकाला जाएगा.

इस रैली में मराठवाड़ा समेत राज्य के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे.

उन्होंने कहा, “मैं इस रैली से पहले अनशन नहीं तोड़ूंगा. सरकार ने फैसला नहीं लिया तो परिणाम गंभीर होंगे.”

अनशन स्थल पर अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता गुणरत्ना सदावर्ते ने जाकर बोरहाडे से मुलाकात की और समर्थन जताया.

जलना और आसपास के क्षेत्रों में इस आंदोलन को लेकर तनाव का माहौल है.

प्रशासन को आशंका है कि यदि 24 सितम्बर तक सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो स्थिति काबू के बाहर जा सकती है.

स्थानीय लोग भी अनशन स्थल पर बड़ी संख्या में जुट रहे हैं. इससे आंदोलन लगातार मज़बूत हो रहा है.

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