Mainbhibharat

26 साल पहले विस्थापित हुए 14 हज़ार रियांग आदिवासी त्रिपुरा चुनाव में डालेंगे वोट

त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों के लिए आज सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है. वहीं 26 साल पहले जातीय समस्याओं के कारण मिजोरम से विस्थापित हुए कुल 14,005 रियांग आदिवासी आज त्रिपुरा में पहली बार वोट डालेंगे, अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

14,005 मतदाता उन 37,136 रियांग आदिवासियों का हिस्सा हैं, जो अक्टूबर 1997 में और बाद के वर्षों में त्रिपुरा भाग गए और उत्तर त्रिपुरा के कंचनपुर और पानीसागर सब-डिवीजन में राहत शिविरों में शरण ली.

चुनाव अधिकारियों ने कहा कि रियांग आदिवासी, जिन्हें स्थानीय रूप से “ब्रू” कहा जाता है, चार जिलों के अलग-अलग मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालेंगे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय मिजोरम और त्रिपुरा सरकारों और रियांग आदिवासियों के बीच 16 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षरित चार-पक्षीय समझौते के अनुसार, 6,959 परिवारों वाले 37,136 आदिवासियों को त्रिपुरा के विभिन्न जिलों में बसाया जाएगा और विस्थापित लोगों में से 21,703 योग्य मतदाताओं को त्रिपुरा की चुनावी सूची में नामांकित किया जाएगा.

एक चुनाव अधिकारी ने बताया, “क्योंकि पुनर्वास प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है. सभी 21,703 योग्य मतदाताओं के नाम त्रिपुरा की मतदाता सूची में शामिल नहीं किए जा सके हैं. इसलिए अभी उन 14,005 नामांकित नामों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी.”

रेवेन्यू और रिलीफ डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने रियांग आदिवासियों से जल्द से जल्द अपने आवास शिविरों में आने का अनुरोध किया.

त्रिपुरा के आठ जिलों में से चार – उत्तरी त्रिपुरा, धलाई, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा में 12 स्थानों पर रियांग आदिवासियों का पुनर्वास किया जा रहा है.

रेवेन्यू डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल 31 अगस्त तक इन विस्थापित रियांग आदिवासियों के पुनर्वास का लक्ष्य कई भूमि संबंधी मुद्दों, वन भूमि की मंजूरी, नई परेशानियों, पुनर्वास के खिलाफ आंदोलन और कई अन्य मुद्दों के कारण हासिल नहीं किया जा सका.

विस्थापित आदिवासियों के शीर्ष निकाय मिजोरम ब्रू डिसप्लेस्ड पीपुल्स फोरम (MBDPF) ने सरकार से आदिवासियों के पुनर्वास में तेज़ी लाने का आग्रह किया है.

ब्रू जनजाति के विस्थापन कि कहानी

ब्रू जिन्हें रियांग नाम से भी जाना जाता है, अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं. उन्हें मिजोरम में अपने घर छोड़ कर भागना पड़ा था.

दरअसल, साल 1997 में मिज़ोरम में ब्रू और मिज़ो समुदाय के बीच रिश्ते बिगड़ गए थे. दोनों ही समुदायों के लोगों के बीच परस्पर विश्वास का माहौल खत्म हो गया और उसकी जगह पर तनाव और संदेह ने ले ली थी. मिजोरम से शुरू हुई हिंसा त्रिपुरा राज्य की जम्पुई पहाड़ियों तक फैल गई.

यहां से मिज़ो समुदाय के कुछ परिवारों को पलायन करना पड़ा. ब्रू मसले की पृष्ठभूमि साल 1990 से तैयार होनी शुरू हो गई थी.

लेकिन जब 1997 में ब्रू जनजाति के लोगों ने राज्य में ब्रू जनजाति के लिए स्वायत्त परिषद की मांग शुरू की तो मिज़ो और ब्रू के बीच तनाव बढ़ने लगा. इस बीच एक फ़ॉरेस्ट गार्ड की हत्या हुई और इसका इलज़ाम ब्रू संगठन पर लगा. उसके बाद ब्रू जनजाति के ज़्यादातर परिवारों को मिज़ोरम छोड़ कर भागना पड़ा. इन परिवारों ने त्रिपुरा में शरण ली.

त्रिपुरा एक छोटा राज्य है और रियांग जनजाति की जनसंख्या यहाँ पर राजनीतिक तौर पर नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती है.

त्रिपुरा चुनाव

त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों के लिए 16 फरवरी को वोटिंग शुरू हो गई है. वोटों की गिनती दो मार्च को होगी. त्रिपुरा में 3,328 मतदान केंद्रों पर वोट डाले जा रहे हैं. राज्य में 1100 संवेदनशील बूथ हैं. 28 बूथों को अति संवेदनशील कैटिगरी में रखा गया है. यहां कुल 259 उम्मीदवार चुनावी दौड़ में हैं, जिनमें 20 महिलाएं हैं.

राज्य में पहली बार कांग्रेस और सीपीएम के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सीट बंटवारे के तहत संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार चुनाव में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन और सीपीआई एम, कांग्रेस और टिपरा मोथा के बीच मुकाबला है. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए अहम है.

बीजेपी 55 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है, उसकी सहयोगी IPFT ने छह सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि एक सीट पर दोस्ताना मुकाबला हो रहा है. सीपीएम 47 सीट पर चुनाव लड़ रही है और इसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 28 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं और 58 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी ने सबसे ज्यादा 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

राज्य में 28.13 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें 14,15,233 पुरुष मतदाता हैं, 13,99,289 महिला मतदाता हैं और 62 तीसरे लिंग के हैं. मतदान को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

Exit mobile version