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थर्मल पावर प्लांट का काम ज़ोरों पर, लेकिन विस्थापित आदिवासियों का क्या होगा

तेलंगाना के नलगोंडा ज़िले की दो आदिवासी बस्तियों – मोधुगुला और कपूरा के निवासी – अपने एक फ़ैसले की वजह से बेहद मुश्किल में हैं. अधिकारियों ने उनके घरों को तोड़ना शुरु कर दिया है, और इनके पास रहने की कोई और जगह नहीं है.

इन आदिवासियों ने 4,000 मेगावाट के सुपरक्रिटिकल यदाद्री थर्मल पावर प्लांट (YTPP) की स्थापना के लिए अपने खेत और घरों की ज़मीन छोड़ दी थी. लेकिन उनका कहना है कि उन्हें घर तोड़े जाने का कोई नोटिस नहीं दिया गया है.

वो सरकार से समय चाहते हैं कि वो अपने लिए अस्थायी घर बनाने के लिए उचित जगह ढूंढ सकें.

राज्य सरकार ने पुनर्वास पैकेज के तहत 200 गज के प्लॉट इन आदिवासियों को दिए हैं. इन ज़मीनों के पट्टे भी एक साल पहले जारी कर दिए गए हैं.

लेकिन खेतों के छिन जाने और फिर कोविड महामारी के चलते इन परिवारों ने अपनी आजीविका खो दी है. इन हालात में यहां के ज़्यादातर परिवार नए सिरे से घरों का निर्माण नहीं कर पाए हैं.

अधिकांश घरों का निर्माण सिर्फ़ बेसमेंट स्तर तक ही पहुंच पाया है, और इन्हें पूरा करने के लिए निवासियों ने दो से तीन महीने का समय और मांगा है.

अधिकारियों ने इन लोगों को बस हफ़्ते भर का समय दिया है. दोनों बस्तियों के अधिकांश निवासियों के पास पशुधन है और उन्हें किराए के लिए ऐसे घर नहीं मिल पा रहे जहां वे पशुओं को भी रख सकें.

इसके अलावा सरपंच रूपावत नानकू का दावा है कि इन दो आदिवासी बस्तियों में लगभग 173 घर हैं जिन्हें खाली करने की ज़रूरत है. लेकिन उनमें छह परिवारों को अभी तक कोई मुआवज़ा नहीं मिला है.

इस बीच, वाईटीपीपी के चीफ़ इंजीनियर जे सम्मैया ने मीडिया से कहा कि आदिवासियों को पर्याप्त समय दिया गया है. अब प्लांट के निर्माण कार्य के बीच स्थानीय लोगों की सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है.

नोटिस के मुद्दे पर अधिकारियों का कहना है कि यह साफ़ नहीं है कि नोटिस किसे भेजा जाना चाहिए.

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