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अराकू घाटी में इको-टूरिज़्म योजना से आदिवासियों की रोज़ी-रोटी पर खतरा

आंध्र प्रदेश की खूबसूरत अराकू घाटी में रहने वाले आदिवासी लोग इन दिनों बहुत परेशान हैं.

यहाँ के वंजंगी और मदगड़ा पहाड़ियों में हजारों लोग घूमने आते हैं.

कोहरे से ढकी ये पहाड़ियाँ “क्लाउड हिल्स” के नाम से मशहूर हैं.

लेकिन अब वन विभाग इन इलाकों को इको-टूरिज़्म (पर्यटन) क्षेत्र बनाने की योजना बना रहा है, जिससे यहाँ के लोग डरे हुए हैं.

दरअसल, पिछले कुछ सालों से यहाँ के आदिवासी लोग खुद ही इस जगह को थोड़ा-थोड़ा विकसित कर रहे थे.

उन्होंने छोटे रास्ते बनाए, पार्किंग की जगह तैयार की और दुकानें खोलकर घूमने आने वाले लोगों को पानी, नाश्ता और दूसरी चीजें बेचनी शुरू कीं.

कुछ लोग तो पार्किंग के बदले पैसे भी लेने लगे थे.

इससे उनकी रोज़ी-रोटी चल रही थी.

अब वन विभाग ने कहा है कि वह इन इलाकों को “सुरक्षित वन क्षेत्र” घोषित करेगा और वहाँ पर्यटन के लिए अच्छे रास्ते, रेस्ट हाउस, वॉच टावर और पार्किंग बनाएगा.

इस काम के लिए लगभग 50 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.

विभाग कहता है कि स्थानीय लोगों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा, ताकि उन्हें भी काम मिले और जंगल की देखरेख भी हो.

लेकिन आदिवासी लोग इस बात से खुश नहीं हैं.

उनका कहना है कि अगर वन विभाग पूरी ज़मीन अपने कब्ज़े में ले लेगा तो वे यहाँ से कमाई नहीं कर पाएँगे.

वे डरते हैं कि उनकी दुकानों को बंद करवा दिया जाएगा, पार्किंग पर उनका हक नहीं रहेगा और जो पैसा आएगा वह सरकार ले जाएगी, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा.

मडगड़ा इलाके में लगभग 300 आदिवासी परिवार रहते हैं, जो इस इलाके से अपनी आमदनी करते हैं.

उन्होंने कहा है कि वे अपनी आपत्ति 10 अक्टूबर को वन विभाग की बैठक में बताएँगे, जो पाडेरू रेंज ऑफिस में होगी.

वन विभाग के बड़े अधिकारी डॉ. बी मोहम्मद दीवान मयदीन का कहना है कि ये जगह पहले से ही वन विभाग की ज़मीन है और सरकारी नियमों के तहत यहाँ इको-टूरिज़्म शुरू किया जा सकता है.

उनका कहना है कि विभाग स्थानीय लोगों को भी इस काम में शामिल करेगा और उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करेगा.

लेकिन आदिवासी लोग कहते हैं कि वे पहले से ही यहाँ मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने अपने दम पर इस जगह को मशहूर बनाया है.

वंजंगी गाँव के एक युवा, पी. नागराजू ने बताया कि 6 साल पहले उन्होंने यहाँ की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं थीं, जिससे यह जगह लोकप्रिय हुई.

अब हर हफ़्ते यहाँ 10,000 से ज़्यादा लोग घूमने आते हैं.

फिलहाल यहाँ शौचालय या पक्की पार्किंग जैसी सुविधाएँ नहीं हैं, लेकिन फिर भी लोग यहाँ आना पसंद करते हैं.

अब जब यह जगह बहुत फेमस हो गई है, तब सरकार इसे अपने हाथ में लेना चाहती है.

स्थानीय लोग वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि यह योजना उनकी कमाई छीन लेगी और वे बेरोज़गार हो जाएँगे.

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