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अमरेली में आठ साल की आदिवासी बच्ची को शेर ने मार डाला

गुजरात में अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका के गोराडका गांव में शुक्रवार को शेर द्वारा हमला किए जाने से एक आदिवासी लड़की की मौत हो गई. वन अधिकारियों ने कहा कि घटना में शामिल शेर का पता लगाने और उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

पुलिस ने कहा कि घटना सावरकुंडला शहर से करीब 12 किलोमीटर पूर्व में गोरडका गांव में सादुल चंदू के खेत में सुबह तीन बजे से छह बजे के बीच हुई. पीड़ित की पहचान पूर्वी गुजरात के दाहोद जिले की रहने वाली आठ वर्षीय संगीता भूरिया के रूप में हुई है.

सावरकुंडला ग्रामीण पुलिस ने पीड़िता के बड़े भाई साजन का हवाला देते हुए कहा कि परिवार चंदू के खेत में बटाईदार का काम करने आया था और जब यह घटना हुई तब वह खेत में सो रहे थे.

साजन के हवाले से कहा गया है, “कुछ जंगली जानवरों ने संगीता पर हमला किया जब वह सो रही थी. जानवर ने उसे एक कपास के खेत में खींच लिया और उसके शरीर को आंशिक रूप से खा लिया.”

गिर (पूर्व) वन्यजीव प्रभाग के उप वन संरक्षक अंशुमान शर्मा ने कहा कि प्रथम द्रष्टि पर आधारित लड़की पर शेर ने हमला किया था.

अंशुमान शर्मा ने कहा, “अपराध स्थल पर पैरों के निशान एक शेर के होने का सुझाव देते हैं जिसने लड़की पर हमला किया था. साथ ही उस इलाके में शेरों की आवाजाही भी दर्ज की गई थी तो प्रथम द्रष्टि पर आधारित लड़की पर शेर ने हमला किया था. जानवर को बचाने और उसके स्कैट के नमूनों को इकट्ठा करने की कोशिश जारी हैं. यह पता लगाने के लिए कि क्या यह वास्तव में एक शेर था जिसने लड़की पर हमला किया था और कौन सा शेर शामिल था.”

सूत्रों ने बताया कि लड़की और उसके परिवार के कुछ सदस्य कुछ दिन पहले ही चंदू के खेत पर पहुंचे थे. शर्मा ने आगे कहा, “जाहिर है वे अक्टूबर की गर्मी के चलते खुले में सो रहे थे. लेकिन हम घटना की परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं.”

वन अधिकारियों ने कहा कि वो इस घटना में शामिल होने के संदेह में नर एशियाई शेर को पकड़ने के लिए जाल के पिंजरे जुटा रहे थे. सावरकुंडला ग्रामीण पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

पूर्वी गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी मजदूर सौराष्ट्र क्षेत्र में बटाईदार या खेतिहर मजदूर के रूप में काम करने आते हैं. हालांकि अमरेली, जूनागढ़, गिर सोमनाथ और भावनगर में तेंदुए की सबसे घनी आबादी है और खेतों में रहने वाले मजदूर अक्सर तेंदुओं के शिकार हो जाते हैं. हालांकि ऐसे मजदूरों पर हमला करने वाले शेर बहुत कम होते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि शेर आमतौर पर इंसानों पर तब तक हमला नहीं करते जब तक उन्हें छेड़ा या परेशान नहीं किया जाता।

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