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आंध्र प्रदेश: अनकापल्ली में आदिवासी किसानों के लिए ई-फसल पंजीकरण का अंतहीन इंतजार

लगभग 4,000 एकड़ में काजू के बागानों को उगाकर जीविकोपार्जन करने वाले करीब 2 हज़ार आदिवासी किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि वे आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली ज़िले के वी मदुगुला, रोलुगुंटा और रविकमटम मंडल के 70 गांवों में अपनी फसलों के लिए ई-फसल पंजीकरण नहीं कर सके.

वी मदुगुला मंडल के चीमलपाडु पंचायत के 14 गांवों, टी अर्जापुरम पंचायत के दो गांवों, कोटबिली पंचायत के तीन गांवों और उरलोवा राजस्व सर्कल के 8 गांवों में आदिवासियों को आरओएफआर पट्टे दिए गए थे.

पिछले दो वर्षों से आदिवासी किसानों को कीटों और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण उचित उपज नहीं हुई. जब गिरजाना संघम के नेताओं ने अधिकारियों के ध्यान में फसल के नुकसान की बात की तो उन्हें बताया गया कि ई-फसल पंजीकरण नहीं होने के कारण वे मुआवजे के पात्र नहीं हैं.

राज्य सरकार की ओर से सचिवालयों को ई-फसल पंजीकरण पूरा करने के निर्देश के बावजूद, पंजीकरण में देरी हुई है. आदिवासियों को डर है कि वे रजिस्ट्रेशन के लिए निर्धारित समय सीमा से अगर चूक गए तो इससे उन्हें लगातार तीसरे वर्ष नुकसान हो सकता है. काजू की फसलों के लिए ई-फसल पंजीकरण की मांग को लेकर लगभग 150 आदिवासी महिलाओं ने समला अम्माकोंडा पहाड़ी गांव के ऊपर भी धरना दिया.

पांचवीं अनुसूची साधना समिति के ज़िला मानद अध्यक्ष के. गोविंद राव ने कहा कि आदिवासी किसानों को पिछले दो वर्षों में फसल नुकसान का बीमा नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी फसल पंजीकरण के अभाव में फसलों को कोई नुकसान होने पर उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा.

गोविंद राव ने जिला कलेक्टर से सचिवालयम के कृषि अधिकारी को गैर-अनुसूचित आदिवासी किसानों द्वारा उगाए गए काजू के बागानों का ई-फसल पंजीकरण पूरा करने का निर्देश देने का आग्रह किया.

रविकामटम मंडल में डोलावनिपलम के आदिवासी किसान सिंगरापु अप्पा राव ने कहा, “मैं पिछले 30 सालों से काजू की खेती कर रहा हूं. पिछले दो वर्षों में कीटों और बेमौसम बारिश के चलते मेरी फसल का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. मैंने कोठाकोटा के साहूकारों से ऋण के रूप में 60 हज़ार रुपये लिए. अब मुझे उससे उधार लिए गए पैसे पर भारी ब्याज देना पड़ रहा है. जब मैंने मुआवजे की मांग करने वाले अधिकारियों से संपर्क किया तो अधिकारियों ने मुझे बताया कि मैं योग्य नहीं हूं क्योंकि ई-फसल पंजीकरण नहीं किया गया था.”

उन्होंने अधिकारियों से अपने काजू बागानों के ई-फसल पंजीकरण के लिए कदम उठाने का आग्रह किया.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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