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केरल: एर्णाकुलम बनेगा 18 की उम्र से ऊपर के सभी आदिवासियों को वैक्सीन लगाने वाला पहला ज़िला

केरल के एर्णाकुलम ज़िले में 60-सदस्यीय वैक्सिनेशन टीम का एक ही मक़सद है – 18 साल की उम्र के 3000 से ज़्यादा आदिवासियों को कोविड वैक्सीन लगाना.

आबादी से दूर पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले इन आदिवासियों को वैक्सीन लगाने के लिए इस टीम को ऊबड़-खाबड़ और कीचड़ भरे रास्तों से गुज़रना पड़ा. ट्रिबवैक्स ईकेएम के नाम से मंगलवार को शुरु हुए इस अभियान का उद्देश्य चार दिनों में 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र की पूरी आदिवासी आबादी का टीकाकरण करना है.

एर्णाकुलम के वैक्सिनेशन नोडल अधिकारी डॉ शिवदास एमजी ने एक अखबार को बताया कि उनकी टीम का लक्ष्य आदिवासी आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण करने वाला पहला ज़िला बनना है. शुक्रवार तक 3,257 आदिवासी लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है, जिसमें कई बिस्तर पर पड़े (Bedridden) मरीज़ भी हैं.

ज़िले के आदिवासी गांवों तक पहुंचना आसान नहीं है

ज़िले के आदिवासी गांवों तक पहुंचना आसान नहीं है. यहां पहुंचने के लिए पूयमकुट्टी नदी को पार कर पहाड़ी रास्तों पर ट्रेकिंग करनी पड़ती है.

बारिश की वजह से पेड़ गिरने के बाद आदिवासी बस्तियों तक जाने वाली कई सड़कें ब्लॉक हो गईं. इसलिए यहां गाड़ियों से नहीं पहुंचा जा सकता.

टीकाकरण दल में स्वास्थ्य विभाग, वन और स्थानीय स्वशासन के अधिकारी शामिल हैं, जो कुट्टमपुझा और वेंगूर पंचायतों में संयुक्त रूप से परियोजना चला रहे हैं. उनका कहना है कि कुट्टमपुझा में लगभग 3,100 आदिवासी हैं और बाकि वेंगूर पंचायत में हैं.

इन आदिवासियों को अलग-अलग बैचों में कोविशील्ड वैक्सीन दिए जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि समुदाय ने टीकाकरण अभियान का ज़्यादा विरोध नहीं किया.

सिर्फ़ दो लोग डर के कारण हमारे टीकाकरण केंद्र से भाग गए, लेकिन बाकि सबने अधिकारियों से सहयोग किया. ‘तेरा’ आदिवासी बस्ती के मुखिया की हाल ही में कोविड से मौत के बाद से इस पूरी प्रक्रिया को लेकर एक सामान्य डर इन लोगों में है.

मुखिया के अंतिम संस्कार में शामिल हुए सभी लोगों का एंटीजन टेस्ट किया गया, और 50 से ज़्यादा का रिज़ल्ट पॉज़िटिव आया. तेरा बस्ती के 108 सदस्यों के अलावा, सभी बस्तियों के सदस्यों को मिशन के तहत वैक्सीन लगाया जाएगा.

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