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मेधा पाटकर पर FIR दर्ज, आदिवासी बच्चों के पैसे के गबन का आरोप

मशहूर सोशल एक्टिविस्ट और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य लोगों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है. इन लोगों पर दान में मिले फंड का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है.

ये एफआईआर मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एक ग्रामीण की शिकायत पर दर्ज की गई है. आरोप है कि मेधा पाटकर और अन्य लोगों ने आदिवासी छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंध के लिए इकट्ठे किए गए फंड का इस्तेमाल ‘राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे’ के लिए किया.

वहीं मेधा पाटकर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने इन्हें गलत बताते हुए कहा कि उनके पास खर्चों का पूरा लेखा-जोखा और ऑडिट है और ये आरोप राजनीतिक कारणों की वजह से लगाए गए हैं.

बड़वानी के पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि निजी शिकायत के आधार पर मेधा पाटकर और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. शिकायत करने वाले शख्स ने कुछ दस्तावेज भी उपलब्ध करवाए हैं. उन्होंने कहा कि इसमें काफी साल पुराने मामले का उल्लेख है इसलिए मामले में विवेचना की जाएगी.

दीपक कुमार शुक्ला ने कहा कि यह मामला जिस संबंध में दर्ज किया गया है, वह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दो राज्यों से जुड़ा हुआ है. इसमें दोनों ही पक्षों को पूरा मौका देते हुए मामले में दस्तावेज और तथ्यों का परीक्षण किया जाएगा. उसी के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी.

शिकायतकर्ता का नाम प्रीतमराज बड़ोले है. FIR के अनुसार, बड़ोले ने आरोप लगाया है कि मुंबई में पंजीकृत ट्रस्ट नर्मदा नवनिर्माण अभियान (NNA) ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा घाटी के जनजातीय छात्रों के लिए आवासीय शैक्षिक सुविधाओं के संचालन के नाम पर जुटाए गए पैसे का दुरुपयोग किया.

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि एनएनए ट्रस्ट को 2007 से लेकर 2022 तक विभिन्न स्रोतों से 13.50 करोड़ राशि मिली थी लेकिन इन निधियों का उपयोग ‘राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे’ के लिए किया गया था, जिसकी जांच करने की जरूरत है.

मेधा पाटकर ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें पुलिस से कोई आधिकारिक नोटिस नहीं मिला है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हूं. आर्थिक मुद्दे को लेकर अगर शिकायत है तो हमारे पास ऑडिट रिपोर्ट भी मौजूद है. रकम का कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा कि जीवन शाला का संचालन आज भी जारी है और बैंक खातों के लेनदेन की ऑडिट रिपोर्ट उनके पास मौजूद है. उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकता है या फिर उन्हें बदनाम करने की साजिश हो सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ है.

मेधा पाटकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भी केस दाखिल किया गया था जो कि आज दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर बन गए है वो हार गए थे क्योंकि हम विदेशी पैसा नहीं लेते हैं. हमारे अकाउंट्स का आडिट होता रहता है और आगे भी हम जवाब और सबूत पेश करने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने आगे कहा कि “हमने लोगों की आजीविका उत्पन्न करने में मदद करने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया है और इसे करते रहेंगे. हम पर पहले भी इस तरह के आरोप लगाए गए हैं. हम सीएसआर फंड स्वीकार नहीं करते हैं. हालांकि, यह सिर्फ एक बार था जब हमने इसे नंदुरबार से स्वीकार किया था. कलेक्टर और हमने पहले ही इसके लिए ऑडिट दर्ज कर लिया है.”

कुछ दिन पहले ही मेधा पाटकर ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार सिर्फ इसलिए बनाया है क्योंकि यह सुमदाय बहुत बड़ा वोट बैंक है, वरना बीजेपी आदिवासी हितैषी नहीं है.

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