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बिहार के माओवाद प्रभावित आदिवासी बस्ती में लगा टीवी सेट

बिहार के माओवादी प्रभावित जमुई जिले के चोरमारा गांव के निवासियों का लंबे समय से संजोया सपना सच हो गया है. क्योंकि गुरुवार को पहली बार गांव में टेलीविजन सेट लगाया गया. 43 इंच के एलईडी टीवी के चालू होने पर बच्चे उत्साह से झूम उठे, महिलाएं और पुरूष खुशी से तालियां बजाने लगे.

एक स्थानीय निवासी रजत कोड़ा ने कहा कि हमें पहली बार टीवी मिला है. वहीं एक अन्य निवासी दिलीप कुमार ने कहा कि हम गाँव में टेलीविजन सेट के लगने से रोमांचित हैं. अब हम बाहरी दुनिया से भी जुड़ने में सक्षम होंगे.

गांव में टीवी सेट को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकारियों द्वारा एक पहल के बाद लाया गया है.  केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां तैनात किया गया है.

डीआईजी (मुजफ्फरपुर रेंज) संदीप सिंह और कमांडेंट जोगेंद्र सिंह मौर्य ने इस पहल के लिए भारतीय स्टेट बैंक की जमुई शाखा से संपर्क किया और बाद में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के तहत डीटीएच से जुड़े टीवी को गांव में लगवाया.

संदीप सिंह ने कहा कि विश्वास, विकास और सुरक्षा चरमपंथ से प्रभावित लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ और जिला पुलिस के बीच बेहतर समन्वय से कानून व्यवस्था बेहतर है. वहीं जोगेंद्र सिंह मौर्य ने कहा कि सरकार ग्रामीणों के विकास के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि जो लोग समाज की मुख्यधारा से भटक गए हैं उन्हें वापस लौट जाना चाहिए.

एसबीआई के सहायक महाप्रबंधक आकाश आनंद ने ग्रामीणों से बैंक लोन लेकर लघु उद्योग स्थापित करने के अवसर तलाशने को कहा है. उन्होंने कहा कि महिलाएं भी आजीविका कमाने के लिए स्वयं सहायता समूह शुरू कर सकती हैं.

चोरमारा गांव बरहट थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो तीन साल पहले तक राज्य में वामपंथी उग्रवाद के गढ़ों में से एक था. मुख्य रूप से आदिवासियों द्वारा बसा यह गांव जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है.

डीआईजी (मुजफ्फरपुर रेंज) संदीप सिंह और कमांडेंट जोगेंद्र सिंह मौर्य ने इस पहल के लिए भारतीय स्टेट बैंक की जमुई शाखा से संपर्क किया और बाद में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के तहत डीटीएच से जुड़े टीवी को गांव में लगवाया.

यह क्षेत्र साल 2000 से लेकर 2018 तक नक्सलवाद से जूझता रहा. नक्सलवाद के कारण ही इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सका लेकिन जैसे-जैसे नक्सल के बादल छट रहे हैं वैसे-वैसे गांव में विकास की उम्मीद जगने लगी है. इसी उम्मीद पहली कड़ी में गांव में बिजली पहुंची, फिर टीवी की आवाज और मोबाइल का रिंगटोन सुनाई देने लगा.

(Photo Credit: The New Indian Express)

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