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झारखंड: खूंटी में पांच नाबालिग आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार

झारखंड के खूंटी ज़िले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां शादी समारोह से लौट रही पांच नाबालिग आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार किए जाने का मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने इस संबंध में 18 नाबालिग लड़कों को हिरासत में लिया है.

क्या है पूरा मामला?

ये घटना शुक्रवार रात की है जब पांच लड़कियां शादी समारोह से घर लौट रही थीं. इसी दौरान कुछ लड़कों ने उन्हें रास्ते में रोक लिया और उन पर गंभीर अत्याचार किए. इनमें से तीन लड़कियों की उम्र 12 से 16 साल के बीच बताई जा रही है.

परिजनों को जब इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत रानिया थाना में शिकायत दर्ज कराई.

इसके बाद पुलिस ने विशेष टीम गठित कर रविवार को 18 नाबालिग आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

खूंटी के पुलिस अधीक्षक (SP) अमन कुमार ने बताया कि सभी 18 आरोपी नाबालिग हैं, लेकिन जिनकी उम्र 16 साल से अधिक है, उन्हें वयस्क मानकर मुकदमे की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी.

झारखंड पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने कहा कि पीड़ित लड़कियों को सरकारी योजनाओं के तहत हर संभव सहायता दी जा रही है.

मेडिकल जांच और कानूनी धाराएं

सोमवार को सभी पीड़ित लड़कियों की मेडिकल जांच कराई गई.

पुलिस ने उनके बयान के आधार पर आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और पॉक्सो (POCSO) एक्ट की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है –

धारा 126(2) – जबरन रोकना

धारा 127(2) – बंधक बनाना

धारा 115(2) –  जानबूझकर चोट पहुंचाना

धारा 109(1) – हत्या के प्रयास से जुड़ी धाराएं

धारा 70(2) – 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ अपराध से जुड़ी धारा

इसके अलावा पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और 8 के तहत भी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

DGP अनुराग गुप्ता ने कहा कि इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए कठोर कानूनी कार्रवाई जरूरी है. उन्होंने अपील की कि समाज को भी सतर्क रहना चाहिए और ऐसी घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए.

यह घटना राज्य में महिला और बाल सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती है. आखिर कब तक नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जाती रहेगी?

पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह भी जरूरी है कि समाज एकजुट होकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज़ उठाए और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए.

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