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आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग के लिए पांच नगा जनजातियों ने रैली निकाली

नागालैंड के पांच जिला मुख्यालयों में गुरुवार को नागालैंड नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा करने की मांगों पर राज्य सरकार की कथित निष्क्रियता के खिलाफ पांच नागा जनजातियों के सैकड़ों लोगों ने रैलियां निकाली.

इन पांच नागा जनजातियों में सुमी, एओ, लोथा, अंगामी और रेंगमा शामिल है.

खराब मौसम की भी परवाह न करते हुए प्रदर्शनकारी दीमापुर, कोहिमा, मोकोकचुंग, सेमिन्यु और वोखा में इकट्ठा हुए.

उनकी मांग है की कि या तो सात पिछड़ी जनजातियों के लिए 48 साल पुराने अनिश्चितकालीन नौकरी कोटे को पूरी तरह से समाप्त किया जाए, जिसे 1977 में 10 साल की प्रारंभिक अवधि के लिए लागू किया गया था. या फिर शेष अनारक्षित कोटा उनकी पांच जनजातियों के लिए विशेष रूप से आरक्षित किया जाए.

दीमापुर में बड़ी संख्या में युवा और बुर्जुग प्रदर्शनकारियों ने डीसी कोर्ट जंक्शन पर इकट्ठा होकर ज्ञापन सौंपने के लिए डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय तक मार्च किया.

तीन आदिवासी संगठनों के नेता, जो वहां मौजूद थे. उन्होंने अपनी मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी रखने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

उन्होंने आंदोलन के दूसरे चरण के लिए अपनी योजना की घोषणा की. उन्होंने कहा कि 2 जून से शुरू होने वाले नागालैंड सिविल सचिवालय के बाहर एक शांतिपूर्ण धरना होगा. इसके बाद 9 जून से पांच जनजातियों के निवास वाले सभी जिलों में पूर्ण बंद रहेगा. इसके बाद प्रदर्शनकारी राज्य सरकार को “अल्टीमेटम रिमाइंडर” सौंपने के लिए डीसी कार्यालय पहुंचे.

मुख्य सचिव को संबोधित ज्ञापन में बताया कि पांच जनजातियों – अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन, एओ सेंडेन, लोथा होहो, रेंगमा होहो और सुमी होहो के शीर्ष संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 CoRRP ने इससे पहले 20 सितंबर, 2024 को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को एक ज्ञापन सौंपा था. जिसके बाद उनकी मांगों को पूरा करने के लिए 26 अप्रैल, 2025 को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था.

ज्ञापन में इस बात पर निराशा व्यक्त की गई कि गृह आयुक्त के 25 मई, 2025 के पत्र के माध्यम से राज्य सरकार की प्रतिक्रिया, उनके प्रारंभिक ज्ञापन में उठाए गए मुख्य चिंताओं और मुद्दों को संबोधित करने में विफल रही.

5 सीओआरआरपी ने कहा कि वे पांच जनजातियों के निवास वाले सभी जिलों में सार्वजनिक विरोध रैलियों के माध्यम से लोकतांत्रिक आंदोलन का सहारा ले रहे हैं और अपनी “वैध मांगों” के बारे में एक अल्टीमेटम रिमाइंडर प्रस्तुत कर रहे हैं.

समिति ने आगे कहा कि जब तक उनकी शिकायतों का पर्याप्त रूप से समाधान नहीं हो जाता, तब तक वे विभिन्न रूपों में आंदोलन को तेज़ करने का इरादा रखते हैं.

पिछड़ी जनजातियों के छात्र संगठनों ने पांच-जनजाति समिति की मांग का विरोध किया

इस बीच, पिछड़ी जनजातियों (बीटी) के रूप में चिह्नित तीन समुदायों के छात्र संगठनों ने पांच-जनजाति समिति की मांग का विरोध किया है और जोर देकर कहा है कि मौजूदा नीति को कमजोर करने से हाशिए पर पड़े समुदाय प्रभावित होंगे.

ये संगठन हैं चाखेसांग छात्र संघ, ज़ेलियांग छात्र संघ और पोचुरी छात्र संघ.

तीनों यूनियनों ने कहा कि आरक्षण नीति बीटी द्वारा सामना की जा रही ‘सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए आधारशिला रही है’ और इसे कमजोर करने या खत्म करने से लाभार्थी समुदाय नौकरी के अवसरों से वंचित हो जाएंगे.

अगस्त 2024 में मुख्यमंत्री रियो ने 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा को बताया कि बीटी के लिए आरक्षण 1977 में शुरू हुआ था और वर्तमान में गैर-तकनीकी और गैर-राजपत्रित नौकरियों में से 37 फीसदी उनके लिए आरक्षित हैं.

कोटा सात पूर्वी नगालैंड बीटी के लिए 25 फीसदी और चार अन्य बीटी के लिए 12 फीसदी में विभाजित है.

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