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असम: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में आदिवासियों के लिए कई घोषणाएं की गई

शुक्रवार को असम (Tribes of Assam) के कैबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) में मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा (Chief Minister Hemant Biswa Sharma) द्वारा आदिवासियों से जुड़े कई बड़े फैसले लिए है.

इन फ़ैसलों में 6 आदिवासी भाषाओं को स्कूल में शामिल करना,  गाँव के महिलाओं का सशक्तिकरण करना और आदिवासी समुदाय के भूमि अधिकारों को संरक्षित रखने से जुड़े फैसले हैं.

आदिवासी भाषाओं को स्कूलों में शामिल करना

असम सरकार ने फैसला किया है कि 6 आदिवासी भाषाओं को प्री स्कूल और कक्षा एक और दो में लागू किया जाएगा.

इन 6 भाषाओं में राभा, कार्बी, तिवा, देवरी और दिमासा शामिल हैं. अब इन भाषाओं में ही अध्यापक छात्रों से बात करेंगे. छात्रों को उनकी भाषा में पढ़ाते हुए, उस क्षेत्र की मुख्य भाषा भी बच्चों को सिखाई जाएगी.

महिला और युवाओं का सशक्तिकरण

इस बैठक में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं के सशक्तिकरण के फ़ैसले भी लिया गया है. सरकार ने कहा है कि महिलाओं के स्वंय सहायता समूहों को लोन दिया जाएगा.

इसके साथ ही जो समूह समय से पैसा लौटा देगा उसका आधा लोन माफ़ कर दिया जाएगा.

पहला चरण:- पहले चरण में (सीड केपिटल) के रूप में सेल्फ हेल्प ग्रुप के महिला सदस्यों को 10,000 रूपये दिए जाएंगे.

सेल्फ हेल्प ग्रुप की जो महिलाएं पहले से कोई बिज़नेस कर रही है. उन्हें भी यह रकम मिलेगी, ताकि वो अपने बिज़नेस को और बड़ा सके.

दूसरा चरण:-  जब उधारकर्ता सीड केपिटल यानि 10,000 का उपयोग कर लेगा. उसके बाद कम से कम सभी उधारकर्ताओं को 25,000 रूपये दिए जाएंगे.

इसके अलावा उधार राशि के आधे (12,500) पैसे का भुग्तान सरकार द्वारा किया जाएगा.

तीसरा चरण:- अगर उधारकर्ता समय पर ऋण का भुग्तान करते है तो बैंक से वे बड़ी राशि का उधार पर ले सकते हैं. जिस पर बैंक सिर्फ 3 प्रतिशत का इंट्रेस्ट लेगी.

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आदिवासी समुदाय के भूमि आधिकारों को सरंक्षित करना

कैबिनेट मीटिंग में यह भी फैसला लिया गया की अहोम, कोच, राजबोंगशी, और गोरखा आदिवासियों के भूमि अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए इन्हें बालीपारा जनजातीय बेल्ट में शामिल किया जाएगा.

इनमे वहीं आदिवासी शामिल होंगे, जो 2011 से पहले बताए गए क्षेत्र में रहे रहें है.

वहीं असम राजभाषा (संशोधन) विधेयक, 2024 को भी मंजूरी देते हुए, राज्य के चार जिले:- कछार, करीमगंज, हैलाकांडी और होजाई में मणिपुरी को सहयोगी राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई है.

असम सरकार ने आदिवासियों के लिए ये फ़ैसले मजबूरी में किए हैं.

क्योंकि लोकसभा चुनाव 2014 से ही असम के इन आदिवासी समुदायों एक ही मांग की जा रही है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले.

इन समुदायों में ताई, अहोम, मटक, मोरान, चुटिया, आदिवासी और कोच राजबोंगशी शामिल हैं.

सत्ताधारी बीजेपी 2014 से ही इन्हें आदिवासी दर्जा देने का वादा करती आई है. लेकिन 10 साल बाद भी बीजेपी अपना ये वादा पूरा नहीं कर पाई है.

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