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जब जनजातीय मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री की नहीं चल रही, तो आदिवासी की क्या खाक चलेगी

आदिवासियों के विकास के लिए जब किसी योजना की घोषणा होगी है, तो सरकारें उसके बारे में बताने का कोई मौक़ा नहीं छोड़तीं. लेकिन इन योजनाओं की घोषणा से लेकर, उसे पूरा करने तक का सफ़र कितना मुश्किलों और अड़चनों भरा है, यह आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं.

तब भी जब यह योजना खुद केंद्रीय जनजातीय मंत्री ने शुरु की हो. हम बात कर रहे हैं ओडिशा के राउरकेला में आदिवासी युवाओं के बीच उद्यमशीलता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया जा रहा Livelihood Business Incubation Centre (LBIC), जिसकी नींव खुद पूर्व केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री और सुंदरगढ़ के सांसद जुअल ओराम ने रखी थी.

लेकिन जैसे ही मोदी सरकार 2019 में दोबारा सत्ता में आई, और जुअल ओराम कैबिनेट से बाहर हुए, तो यह सेंटर भी ठंडे बस्ते में चला गया.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (NSTFDC), राउरकेला स्टील प्लांट (RSP) और राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से बनाए जा रहे LBIC की आधारशिला 25 फरवरी, 2019 को ओराम द्वारा रखी गई थी.

जहां आरएसपी ने सेंटर के इस्तमाल के लिए बिल्डिंग दे दी है, NSTFDC पर इसे चलाने में आने वाले ख़र्च उठाने का ज़िम्मा है. जबकि NSIC पर प्रशिक्षण के लिए मशीनरी खरीदकर इनको स्थापित करने और LBIC चलाने का काम सौंपा गया है.

लेकिन, अभी तक सिर्फ़ एक या दो उपकरण ही लगाए गए हैं. इसके अलावा, छह और मशीनरी की खरीद के लिए टेंडर मांगे गए हैं.

सेंटर पर 12 कोर्सेस को चलाने की मंज़ूरी थी. इनमें स्पाइस ग्राइंडिंग प्लांट, चावल, चीनी, दाल और मसाला पाउडर के लिए पैकेजिंग मशीन, टोफू पैकिंग मशीन के साथ सोया मिल्क एक्सट्रैक्शन प्लांट, कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग, टीआईजी, एमआईसी, एआरसी वेल्डिंग मशीन, लकड़ी और सहायक डिज़ाइनिंग मशीन, बेकरी यूनिट, इलेक्ट्रिकल और मोटर वाइंडिंग, कॉस्मेटोलॉजी और ब्यूटीशियन में प्रशिक्षण शामिल थे.

लेकिन देरी के चलते शुरुआत में सिर्फ़ छह पाठ्यक्रमों के साथ सेंटर खोला जाएगा.

ओराम का दावा है कि LBIC इच्छुक आदिवासी युवाओं को उद्यमी बनने के लिए तैयार करने, और उनकी रोजगार क्षमता और कौशल को बढ़ाने में मदद कर सकता है. इस परियोजना में आदिवासी युवाओं को अपने खुद के बिज़नेस शुरु करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता के अलावा मार्केटिंग मदद भी दी जानी है.

लेकिन यह होगा तो तभी न जब रेड टेप से बाहर निकलकर इसका कार्यान्वयन जल्द हो. ओराम ने देरी स्वीकार करते हुए कहा है कि आदिवासी युवाओं को फ़ायदा पहुंचाने के लिए वह इस मुद्दे को मंत्रालय के सामने उठाएंगे.

NSIC के शाखा प्रबंधक बिपुल बाग ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सेंटर ज़रूरी मशीनरी और उपकरण खरीदने की प्रक्रिया में है, जबकि एक अधिकारी और कुछ दूसरे कर्मचारियों को पहले ही सेंटर पर तैनात किया जा चुका है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि LBIC इस साल नवंबर के अंत तक काम करना शुरू कर देगा.

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