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NEET की परीक्षा पास कर गढ़चिरौली के आदिवासी युवक ने पूरा किया अनपढ़ मां-बाप का सपना

महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले से अक्सर नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आती रही हैं. लेकिन आज इस इलाके से एक अच्छी खबर सामने आई है. यहां एक आदिवासी युवा ने तमाम मुश्किलों का मुकाबला करते हुए NEET की परीक्षा पास कर ली है. इस युवक का नाम है राजू दुर्गम.

राजू का परिवार बेहद गरीब है और छोटी-मोटी नौकरी कर उसके पिता किसी तरह से परिवार का पेट पालते हैं. लेकिन उन्होंने यह तय किया था कि किसी भी कीमत पर अपने बेटे को ऐसी गरीबी वाली जिंदगी नहीं जीने देंगें. और उन्होंने अपने बेटे को खूब पढ़ाने का फैसला किया था.

बेहद गरीबी में उन्होंने बेटे राजू की पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी. परिवार की माली हालत और परेशानियों को देखते हुए राजू ने भी खूब मन लगाकर पढ़ाई की और नीट की परीक्षा पास कर ली।. आज राजू की इस उपलब्धि की चर्चा पूरे जिले में है.

राजू का कहना है कि उसके मां और पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं लेकिन वह मुझे पढ़ाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने दूसरों के खेतों में मजदूरी करने के साथ-साथ और भी काम किए ताकि मेरी पढ़ाई जारी रह सके.

अपने दो एकड़ के खेत और मजदूरी की मामूली कमाई ने उन्हें सिरोंचा शहर में राजू की पढ़ाई और हॉस्टल की फीस पर सालाना 20 हज़ार रुपये खर्च करने से नहीं रोका.

राजू ने कहा, “अपने गांव में कक्षा 3 तक पढ़ने के बाद मुझे आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा. मेरे माता-पिता ने खर्चों के बारे में एक बार भी नहीं सोचा और उन्होंने तय किया कि वे स्कूल की फीस के अलावा मेरे रहने और खाने के लिए बचत करेंगे.”

राजू ने बताया की सिनरोचा में दसवीं की पढ़ाई के बाद मेरे एक रिश्तेदार ने कहा कि पुणे आ जाओ वहां प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ज्याद विकल्प हैं. ऐसे में एक बार फिर राजू के माता-पिता पुणे रहने के उसके खर्चों से नहीं डरे. उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि अब साल के 20 हजार से भी ज्यादा पैसे खर्च होंगे और इसका इंतज़ाम वह कैसे करेंगे? शुरुआत में उन्होंने ये खर्चा उठाया भी…

 लेकिन सौभाग्य से पुणे में राजू एक एनजीओ- लिफ्ट फॉर अपलिफ्टमेंट के संपर्क में आया जिसने उसकी पढाई का पूरा खर्च उठाया और वो अपना लक्ष्य हासिल कर सका. राजू की नीट की परीक्षा में 542वीं रैंक आई है. जिससे यह तय है कि उसे एक टॉप का सरकारी कॉलेज आसानी से मिल जाएगा.

राजू ने कहा, “हमारे गांव में सिर्फ एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है और अगर कोई आपात स्थिति होती है तो हमें लगभग 200 किलोमीटर दूर दूसरे अस्पताल में जाना पड़ता है. इसलिए अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद मैं गढ़चिरौली वापस आना चाहता हूं और यहां अपने समुदाय की सेवा करना चाहता हूं.”

वहीं एनजीओ के प्रमुख अतुल ढकने गढ़चिरोली, मेलघाट, चंद्रपुर और अन्य इलाकों के बच्चों के लिए फ्री में नीट की परीक्षा की तयारी के लिए रेजिडेंशियल कोचिंग चलाते हैं. यह कोचिंग वह पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मिलने वाली डोनेशन की राशि से चलाते हैं. इस एनजीओ में एमबीबीएस स्टूडेंट और डॉक्टर्स बच्चों को नीट की परीक्षा की तैयारी करवाते हैं.

उन्होंने कहा, “हमारा मिशन हर साल सैकड़ों आदिवासियों को NEET पास करना है. हमें आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने की जरूरत है.”

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