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गोवा: क्वेरिम के आदिवासियों से ज़मीन हड़पने की कोशिश

गोवा (Goa) के क्वेरिम (Querim) में रहने वाले आदिवासियों ने 11 अक्टूबर को पोंडा में आंदोलन किया. आदिवासियों ने ये आंदोलन जमींदारों द्वारा उनकी जमीन हड़पने के खिलाफ किया है. उनका कहना है की जमींदार उनकों बिना सूचित करें उनकी किराए में ली गई ज़मीन प्रावासियों को बेच रहे हैं.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह आदिवासी कई दशकों से इन ज़मीनों पर रहे रहें हैं और रोज़ी-रोटी के लिए काजू और सब्जियां उगाते हैं. इसके साथ ही ये सारी ज़मीन नो डेवलपमेंट जोन के अंतर्गत आती है.

इसका मतलब है कि इस पूरे क्षेत्र में बिल्डिंग या डेवलपमेंट से संबंधित कोई भी काम नहीं किया जा सकता है.

क्वेरिम पंचायत (Querim Panchayat) के ग्राम विकास समिति (VDC), दिनेश गौड़े (Dinesh Gaude) बताते हैं की 100 से भी ज्यादा काजू के पेड़ों को काटकर ज़मीन साफ कर दी गई है.

जबकि इन्ही पेड़ों पर यहां के आदिवासी निर्भर थे. इतना ही नहीं ज़मीन साफ करने के बाद जमींदारों ने इन्हें प्रावासियों को बेच दिया. ऐसे में दिनेश ने सरकार से आग्रह किया है कि वे इन सभी आदिवासियों को न्याय दिलवाए.

प्रदर्शनकारियों में से एक वृद्ध महिला शीलवती गौड़े (Shelavati Gaude) ने बताया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन इन काजू के पेड़ की खेती में बीता दिया. लेकिन अब इन्हीं पेड़ों को काट दिया गया है.

जिसके कारण इनके पास रोज़गार का कोई और साधान नहीं बचा है. इसके अलावा उनका कहना है की उन्होंने ज़मीन हड़पने की शिकायत पुलिस और पंचायत में भी दर्ज करवाई है.

इन आदिवासी परिवार के पास इतने पैसे नहीं है की वो कोर्ट में जाकर केस लड़ सके या वकील की मदद ले सके. इसलिए इन प्रदर्शनकारियों का आग्रह है की सरकार मामले की गंभीरता को समझते हुए इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई करें.

इसके अलावा आदिवासी चाहते हैं कि सरकार फिर से ज़मीन सर्वेक्षण करें. क्योंकि 1975 में किए गए सर्वे में कई लोगों शामिल नहीं किया गया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है की वह कई सालों से यहां खेती करते आ रहे हैं.

पहले उनके नाम सर्वे में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि वे इतने पढ़े-लिखे नहीं थे और ना ही वो उस वक्त सर्वे के बारे में जानते थे.

जिसका फायदा अब इन जमींदारों ने उठाया और उनकी ये ज़मीन प्रावासियों को बेच दी. जिसमें वे सालों से रहे रहें है. उन्हें ये ज़मीन अपने पूर्वजो से मिली है. इसके साथ ही ज़मीन खरीदने वाले प्रावासी भी इन्हें डरा धमका रहे हैं.

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