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असम में अब कोई आदिवासी उग्रवादी संगठन नहीं, DNLA हिंसा छोड़ मुख्यधारा में होगा शामिल

असम (Assam) के उग्रवादी संगठन डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (Dimasa National Liberation Army) ने गुरुवार को केंद्र और असम सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के आखिरी बचे उग्रवादी संगठन डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoS) पर हस्ताक्षर किए गए.

असम सरकार के शांति समझौते की दिशा में किए गए प्रयासों को लेकर सरकार के लिए यह एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है.

समझौता ज्ञापन के बाद केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से इस उग्रवादी इलाके के चहुंमुखी विकास के लिए एक हजार करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई. इस मौके पर अमित शाह के अलावा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और डीएनएलओ समूह की ओर से सुदरी सोरोंगफंगसा और ईटका डिफुसा मौजूद रहे.

अमित शाह ने शांति समझौते के बाद अपने संबोधन में कहा, “यह समझौता 2024 तक पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त और एक शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर बनाने के पीएम नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. यह समझौता असम के दीमा हसाओ जिले में विद्रोह का पूर्ण अंत कर देगा. इसके साथ ही आज असम में सशस्त्र आदिवासी समूह नहीं हैं. सभी आदिवासी समूह मुख्यधारा में शामिल होकर भारत की विकास प्रक्रिया में योगदान दे रहे हैं.”

अमित शाह ने कहा कि ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद असम के जंगलों में अब कोई आदिवासी उग्रवादी संगठन हथियार लेकर नहीं घूमेगा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के देखरेख में गृह मंत्रालय असम राज्य में स्थायी शांति और विकास के लिए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाली असम सरकार के साथ लगातार काम कर रही है.

शाह ने कहा कि दिमासा पीपल्स सुप्रीम काउंसिल और दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी ने हिंसा खत्म करने और दिमासा के लोगों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए असम सरकार के साथ आज यानी 27 अप्रैल को यह समझौता किया है. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए आनंद और संतुष्टि का एक विषय है.

केंद्रीय गृह मंत्री ने उग्रवादी संगठन से हिंसा छोड़ने, अपने संगठन और शिविरों को भंग करने, हथियार डालने और राष्ट्र मिर्माण के कार्य में शामिल होने की अपील की. अमित शाह ने इस दौरान बड़े पैकेज की घोषणा की. डीएनएलए के आत्मसमर्पित उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए केंद्र और असम सरकार की तरफ से 500-500 करोड़ दिए जाएंगे.

वहीं असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. सरमा ने कहा “उल्फा के दोनों गुटों को छोड़कर अब और कोई संगठन नहीं बचा है. DNLA आखिरी था. सरकार के साथ बातचीत करने वाले सभी लोगों ने अब शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हम एक समझौते की उम्मीद कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि DNLA के कैडर न केवल दीमा हसाओ जिले में बल्कि पूरे राज्य में शांति, विकास और स्थिरता के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे.

समझौते के तहत DNLA के प्रतिनिधियों ने हिंसा छोड़ने, सभी हथियारों और गोला-बारूद को आत्मसमर्पण करने, अपने सशस्त्र समूहों को भंग करने, DNLA कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की है.

वहीं सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय करेगी। इस समझौते के परिणामस्वरूप, DNLA के 168 से अधिक कैडर हथियार डालकर मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं.

DNLA 2019 में गठित एक अपेक्षाकृत नया विद्रोही समूह है, जो असम के दीमा हसाओ और कार्बी आंगलोंग जिलों में काम कर रहा था. इसके गठन के समय, समूह ने दावा किया था कि यह राष्ट्रीय संघर्ष को पुनर्जीवित करने और एक संप्रभु, स्वतंत्र दिमासा राष्ट्र की मुक्ति के लिए लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है.

(Photo Credit: PTI)

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