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छत्तीसगढ़: सीआरपीएफ़ में भर्ती के लिए आदिवासी युवाओं को योग्यता मानकों में ढील

केंद्र सरकार ने आदिवासी युवाओं की सीआरपीएफ में भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में ढील देने को मंज़ूरी दे दी है. छूट छत्तीसगढ़ के बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आंतरिक क्षेत्रों से आने वाले उम्मीदवारों के लिए लागू होगी.

1 जून, 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया था. 400 आदिवासी युवाओं की भर्ती के लिए नई शैक्षणिक योग्यता के हिसाब से उम्मीदवारों का 10 वीं कक्षा के बजाय 8 वीं कक्षा पास होना ही ज़रूरी है.

स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने और तीन जिलों के इन अंदरूनी इलाक़ों में इस फैसले के व्यापक प्रचार के लिए सभी साधनों को अपनाने के अलावा, सीआरपीएफ बाद में भर्ती किए गए इन नए ट्रेनीज़ को प्रोबेशन के दौरान आगे की शिक्षा भी देगा.

10वीं पास की निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हासिल करने के बाद ही उम्मीदवारों की सेवा में पुष्टि की जाएगी. इस तरह से भर्ती किए गए सभी लोगों को औपचारिक शिक्षा का फ़ायदा भी मिल जाएगा. प्रोबेशन की अवधि के दौरान सीआरपीएफ़ पढ़ाई के लिए ज़रूरी सामान, किताबें और कोचिंग सहायता देने जैसी हर संभव मदद इन युवाओं को देगा.

ज़रूरत पड़ने पर प्रोबेशन की अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है, ताकि नई भर्तियों को निर्धारित शिक्षा योग्यता प्राप्त करने में सुविधा हो.

इसके अलावा 10वीं कक्षा की परीक्षा देने के लिए इन युवाओं को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय ओपन स्कूल संस्थान में रजिस्टर भी कराया जाएगा.

सरकार ने एक बयान जारी कर यह भी कहा है कि आदिवासी युवाओं की कॉन्स्टेबल के तौर पर भर्ती के लिए शारीरिक मानकों में उचित छूट भी गृह मंत्रालय द्वारा दी जाएगी.

बस्तरिया बटालियन

सीआरपीएफ ने एक अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के चार जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा से अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की भर्ती करके एक बस्तरिया बटालियन का गठन किया था. इसके पीछे मकसद स्थानीय प्रतिनिधित्व को बढ़ाना था.

इसके लिए सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में पहले से ही छूट दी थी. इसमें स्थानीय आवेदकों को मौका देने के लिए ऊंचाई और वजन के शारीरिक मानकों में ढील दी गई थी, और सीआरपीएफ ने स्थानीय युवाओं को सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत शैक्षिक और शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान किया.

लेकिन इस पहल का वैसा असर देखने को नहीं मिला जैसा कि उम्मीद थी, क्योंकि अंदरूनी इलाक़ों के उम्मीदवार अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता पूरी न करने की वजह से भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पा रहे थे.

सरकार के ताज़ा फ़ैसले से इन युवाओं के सामने आने वाली यह अड़चन तो कम से कम दूर होगी.

बटालियन के लिए 743 कर्मियों की भर्ती निर्धारित है. और भारत सरकार की महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की नीति के अनुसार, यूनिट में फ़िलहाल 534 कर्मी हैं, जिनमें 189 महिलाएं हैं.

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