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हलक्की वोक्कालिगा जनजाति को गर्व हुआ, पीएम मोदी से मिलने के बाद पद्म विजेता बोलीं

हलक्की वोक्कालिगा जनजातीय समुदाय (Halakki Vokkaliga community) से जुड़ी दो महिलाओं तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) और सुकरी बोम्मागौड़ा (Sukri Bommagowda) को मोदी सरकार ने पहले पद्म श्री (Padma Shri) सम्मानित किया है.

अब बुधवार को कर्नाटक के अंकोला (Ankola) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद एक पुरस्कार विजेता महिला ने कहा कि उनका समुदाय पीएम मोदी सरकार द्वारा पुरस्कार देने के बाद से खुश है.

पीएम मोदी ने बुधवार को पद्म श्री पुरस्कार पाने वाली तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मगौड़ा से अंकोला में मुलाकात की थी. पद्मश्री पाने वाली दोनों महिलाओं ने पीएम मोदी से मुलाकात पर खुशी जाहिर की.

हलक्की वोक्कालिगा जनजातियों के बीच स्वर कोकिला के तौर पर चर्चित सुकरी बोम्मागौड़ा ने कहा, “मैं अंकोला में पीएम मोदी के आने से बहुत खुश हूं. यह पहली बार है कि कोई प्रधानमंत्री यहां आया. हम सब बहुत खुश हैं. हमारे बच्चे उन्हें देखने के लिए बहुत उत्सुक थे. मैंने उन्हें अपना प्यार और आशीर्वाद दिया.”

जब उनसे पूछा गया कि अवार्ड जीतने के बाद दुनिया में उनके समुदाय को मिली पहचान को लेकर कैसा महसूस करती हैं तो उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए गर्व का क्षण है और उनके समुदाय में हर कोई खुश है.

उन्होंने कहा, “पद्म श्री पुरस्कार पाने के बाद मैं बहुत खुश हुई. न सिर्फ मैंने बल्कि मेरे हलक्की वोक्कालिगा समुदाय ने गर्व महसूस किया. सरकार से मेरी एक ही गुजारिश है कि वे हमें एसटी कटेगरी में शामिल करे जो हमारे समुदाय को फायदा पहुंचाएगा और हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करेगा.”

सुकरी बोम्मागौड़ा ने 2017 में लोक गायन के लिए पद्म श्री जीता है जो कि देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. सुकरी पूर्व में कई मेडल से सम्मानित हो चुकी हैं. वह लगभग विभिन्न प्रकार के 7 हजार लोक गीत गाती हैं.

उन्होंने कहा कि मैंने 12 साल की उम्र से लोक गायन शुरू किया था. इसे मैंने अपनी मां से सीखा था.

पद्म श्री पाने वाली दूसरी महिला तुलसी गौड़ा ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि पीएम दिल्ली से अंकोला के लोगों से मिलने आए और मेरा आशीर्वाद लिया. मैं इससे पहले उनसे दिल्ली में भी मिली थी उन्हें देखकर हम सभी खुश हुए थे.’

पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को 2021 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

83 साल की गौड़ा जो कि कर्नाटक के होन्नाली गांव की हैं. उन्होंने 3 लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं. वह कर्नाटक की हलक्की जनजाति की हैं और पर्यावरण के संबंध में वन विभाग को सलाह देती हैं. उन्हें विभिन्न पौधों और जड़ी-बूटियों की प्रजातियों के व्यापक जानकारी के कारण जंगलों की एनसाइक्लोपीडिया के तौर पर जाना जाता है.

वहीं अंकोला के रहने वाले और जाने-माने वकील और कॉलमनिस्ट नागराज ने बताया कि पद्म श्री पाने वाली तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मागौड़ा दोनों हलक्की वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने पद्म श्री पाने वाली तुलसी गौड़ा पर 2-3 साल पहले लेख लिखा था और यह स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था. इसके बाद हमारे सांसद अनंत कुमार जी ने इसका मुझसे अंग्रेजी में अनुवाद करने का अनुरोध किया. मैंने इस लेख को उन्हें भेजा और कुछ दिनों के बाद मैंने देखा कि उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह केवल मेरे लिए ही नहीं बल्कि हमारे पूरे कन्नड़ जिले के लिए खुशी का पल था. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के राज्य के इस पिछड़े क्षेत्र से दो महिलाओं को पहचान देने के लिए आभारी हैं.’

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