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हिमाचल प्रदेश के हाटी सुमदाय को ST दर्जा देने की पूरी तैयारी

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनीतिक कदम के तहत, केंद्र कथित तौर पर सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र को ‘जनजातीय’ का दर्जा देने पर विचार कर रहा है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है तो इस क्षेत्र में रहने वाले सभी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाएगा.

सूत्रों का कहना है कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा पेश किए जाने वाले प्रस्ताव पर अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श होने की संभावना है. पहले जहां हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग थी, वहीं केंद्र अब इसे पूरे क्षेत्र में विस्तारित करने के सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

लंबे समय से जनजाति क्षेत्र की मांग करने वाले सिरमौर के हाटी समुदाय को भी अब उत्तराखंड के जौनसार बावर की तर्ज पर ऐसा दर्ज मिल सकता है. इस कदम की वकालत को इस आधार पर युक्तिसंगत बनाया जा रहा है कि यह उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र में 1967 (तब अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में किया गया था, जो वर्तमान में भी जारी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र को ‘जनजातीय’ दर्जा देने पर विचार कर रहा है. इसे लेकर अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श होने की संभावना है. दरअसल हिमाचल के किसी क्षेत्र में आदिवासी स्थिति का विस्तार हाल के दिनों में नहीं हुआ है और अब इसे राज्य के चुनावों से पहले एक राजनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है.

अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो बीजेपी के लिए ये फैसला क्षेत्र के मतदाताओं, विशेष रूप से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हाटी समुदाय को लुभाने के लिए बनाई गई एक राजनीतिक पहल होगी. जो पिछले कुछ वर्षों से आदिवासी दर्जे की मांग कर रहा है और प्रतिशोध के साथ मतदान कर सकता है. सिरमौर जिले में हाटी समुदाय कई सीटों पर फैला हुआ है.

प्रदेश में अन्य जातियों की बात करें तो हिमाचल प्रदेश 2011 की जनगणना के अनुसार 50 फ़ीसदी से ज्यादा आबादी केवल 2 जातियों की है. राज्य में राजपूत मतदाता की आबादी 30.72 फीसदी है जबकि ब्राह्मण 18 फ़ीसदी से ज्यादा है. इसके अलावा राज्य में अनुसूचित जाति 25.22 फ़ीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 5.71 फीसदी है. राज्य में ओबीसी समुदाय 13.52 फ़ीसदी है. जबकि मुस्लिम आबादी महज 2 फ़ीसदी के करीब है.

दरअसल इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करेगी और इसके लिए एक आक्रामक अभियान शुरू किया है. जबकि राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी-बारी से सरकारों और सत्ता को वोट देने का इतिहास रहा है. राज्य में प्रचलित सत्ता विरोधी लहर तब सामने आई जब कांग्रेस ने नवंबर 2021 में मंडी लोकसभा क्षेत्र और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जीते.

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