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नेताओं को गिरिपार में नहीं घुसने देंगे, जनजाति का दर्जा देने के लिए हाटी समुदाय का सरकार को जून तक का अल्टीमेटम

हिमाचल प्रदेश में गिरिपार को जनजातीय दर्जे की मांग को लेकर हक नहीं तो वोट नहीं नारा बुलंद हो रहा है. इसके साथ ही अब सिरमौर का हाटी कबीला देवी-देवताओं की शरण में है. हाटी लोगों का कहना है कि उन्हें अब नेताओं के आश्वासनों से ज्यादा लोगों को देवी भंगायणी पर भरोसा है.

रविवार को हरिपुरधार में हाटी समुदाय के लोगों ने देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया. हाटी नेताओं का कहना है कि समुदाय का जो आदमी इस काम में मेहनत नहीं करेगा उसे देवी दंड देगी. उसे देवी के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा. 

हाटी मानते हैं कि माता भंगायणी शिरगुल महाराज की धर्म बहन हैं. इसे शक्तिपीठ के रूप में हरिपुरधार में स्थापित किया गया था. 

उधर कुछ संगठनों का कहना है कि लोग अब आर-पार की लड़ाई लडना चाहते हैं. हाटी विकास संघ के मुख्य प्रवक्ता डॉ. रमेश सिंगटा ने कहा कि नेताओं से ज्यादा लोगों को देवी-देवताओं पर भरोसा है. हाटी समुदाय हर हाल में मसले का हल चाहता है. 

महाखुमलियों (सभा) में लिए गए फैसलों को अगर नेताओं ने नहीं माना तो इन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. तीन लाख लोग सरकार के साथ खड़े हैं, सरकार जल्द इन्हें न्याय प्रदान करें, अन्यथा लोग नेताओं का गिरिपार में प्रवेश करना बंद कर देंगे.

हाटी समुदाय के तीन लाख लोग अब हक नहीं तो वोट नहीं का नारा और बुलंद करेंग. उनका कहना है कि लोगों ने सरकार को जून महीने तक की मोहलत दी है. इसमें कहा गया है कि अगर 30 जून तक हाटी को जनजातीय दर्जा नहीं दिया गया तो वे नेताओं का गिरीपार क्षेत्र में प्रवेश करना बंद कर देंगे. 

आजकल लोग महाखुमली के माध्यम से आंदोलन कर रहे हैं. जल्द ही वे पहली जनवरी को हुई पहली महाखुमली में लिए गए फैसले को लागू करने के बारे में रणनीति बनाएंगे. कुछ दिन पहले ही मंडी की सांसद प्रतिभा सिंह ने इस मसले को संसद भी उठाया था. 

संसद तक गूंज हुई थी, लेकिन जिस तरह का जवाब जनजातीय मंत्रालय की ओर से आया था, उससे लोगों में निराशा का माहौल बना है. हाटी समुदाय के लोग शिमला के सांसद एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया है कि मंडी की सांसद ने सवाल उठाया तो शिमला के सांसद इस मुद्दे पर क्यों चुप हैं.

हिमाचल प्रदेश में इसी साल यानि नवंबर 2022 के आस-पास चुनाव होंगे. हाटी समुदाय के लोग सभी राजनीतिक दलों पर दबाव बना रहे हैं. वो चाहते हैं कि उनकी जनजाति के दर्जे की माँग को माना जाए. लेकिन राज्य और केन्द्र की सत्ता में क़ायम बीजेपी से उसे अभी तक कोई आश्वासन नहीं मिला है.

बजट सत्र में के आख़िरी दिनों में उत्तर प्रदेश की कुछ जनजातियों के सिलसिले में आए संशोधन विधेयक के समय भी विपक्ष ने सरकार से माँग की थी कि दूसरे राज्यों के मसलों को भी देखा जाए. विपक्ष का कहना था कि कई राज्यों से अलग अलग आदिवासी समुदाय यह माँग करते रहे हैं.

इसलिए सरकार को इस सिलसिले में टुकड़ों में काम करने की बजाए एक व्यापक बिल तैयार करना चाहिए.

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