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केरल: देर से ही सही लेकिन आदिवासी बच्चों को मिला टैबलेट और हाई-स्पीड इंटरनेट

केरल के निलंबूर जंगल की पालक्कायम आदिवासी बस्ती के बच्चे आजकल काफ़ी उत्साहित हैं. बस्ती के 36 बच्चों को जन शिक्षण संस्थान (JSS) के अधिकारियों द्वारा उनकी पढ़ाई के लिए टैबलेट दिए गए हैं. इन टैबलेट्स को चलाने के लिए ज़रूरी हाई स्पीड इंटरनेट भी उन्हें मिल गया है.

JSS की बदैलत सिर्फ़ पालक्कायम के ही नहीं, अंबुमला और वेट्टिलाकोल्ली आदिवासी बस्तियों के कई छात्रों को भी पहली बार ऑनलाइन क्लास में शामिल होने का मौक़ा मिल रहा है. कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद होने के बाद से इनमें से कई बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी.

मज़बूत इंटरनेट की कमी ने बड़ी संख्या में आदिवासी छात्रों को लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई से दूर रखा है. केरल की इन आदिवासी बस्तियों के कुछ बच्चे तो अपने स्कूल का नाम भी शायद भूल चुके हैं, क्योंकि लंबी छुट्टी ने उनके कैंपस की यादों को लगभग मिटा ही दिया है.

अपने फ़ोन पर इंटरनेट चलाते हुए संदीप और सुनील ने हिंदू अखाबर से कहा, “वाह, हमें 4G नेटवर्क मिल रहा है. यह तो कमाल है.”

पालक्कायम आदिवासी बस्ती के बच्चे (Photo Credit: The Hindu)

अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी और उसको चलाने के लिए टैब की मांग इन बस्तियों के लोग कई महीनों से कर रहे थे.

सांसद पी.वी.अब्दुल वहाब ने इन बस्तियों के बच्चों को 60 लेनोवो टैबलेट तोहफ़े में दिए हैं. अब्दुल वहाब ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत चालियार पंचायत को गोद लिया है.

अंबुमला और वेट्टिलाकोल्ली बस्तियों में बच्चों की स्थिति और भी ख़राब है. दोनों बस्तियों तक पक्की सड़क नहीं है, जिससे यहां के दर्जनों परिवार बाहरी दुनिया से बिलकुल कट गए हैं.

पालक्कायम की दो बस्तियों में मुदुवान आदिवासी समुदाय के 36 परिवार और काट्टुनायकन दिवासी समुदाय के 16 परिवार रहते हैं. जबकि अंबुमला और वेट्टिलाकोल्ली बस्तियों में पनिया जनजाति के 25 परिवार रहते हैं.

वेट्टिलाकोल्ली बस्ती की गिनती राज्य में सबसे पिछड़ी बस्तियों में की जाती है, क्योंकि वहां तक न तो कोई सड़क जाती है, न ही बस्ती में एक भी पक्का मकान है.

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