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हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने लगाई रोक

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे का मामला एक बार फिर से लटक गया है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की अधिसूचना पर 18 मार्च तक रोक लगा दी है.

समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के तीन दिन बाद ही अदालत ने इस पर रोक लगा दी.

इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थी जिनकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंड पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि ‘विवादित कानून में स्पष्ट मनमानी और असंवैधानिकता है.’

हिमाचल प्रदेश सरकार ने सोमवार को सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की अधिसूचना जारी की थी.

पीठ ने कहा कि अगर अंतरिम राहत नहीं दी गई तो अपूरणीय क्षति हो सकती है. इसके बाद अदालत ने अधिसूचना पर 18 मार्च तक रोक लगा दी.

हालांकि, हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टिप्पणियां या निष्कर्ष केवल प्रथम दृष्टया और अस्थायी हैं और अंतिम सुनवाई के दौरान इसका कोई असर नहीं होगा.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.एस. रामचंद्र राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि जब केंद्र सरकार पहले ही इस मुद्दे को तीन बार नकार चुकी थी, तो इसमें कानूनी तौर पर ऐसा क्या रह गया था कि अब सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को एसटी दर्जा देने का कानून बनाना पड़ा.

साल 1995, साल 2006 और साल 2017 में गिरिपार या ट्रांसगिरि इलाके के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए ये मामला केंद्र सरकार के समक्ष भेजा गया था, तब तत्कालीन केंद्र सरकारों ने हर बार इस मामले को तीन प्रमुख कारणों से नकार दिया था.

ट्रांसगिरी क्षेत्र की 154 पंचायतों में रहने वाले समुदाय के लगभग तीन लाख सदस्य संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2023 को लागू नहीं करने और समुदाय को एसटी के रूप में अधिसूचित नहीं करने को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

क्या है पूरा मामला?

सिरमौर जिला के ट्रांसगिरी क्षेत्र की 2011 की जनगणना के मुताबिक दो लाख से ज्यादा की आबादी वाली 154 पंचायतें, 4 विधानसभा क्षेत्रों के लोग जनजाति के दर्जे के दायरे में आए थे.

यह बिल दिसम्बर 2022 में लोकसभा में और जुलाई 2023 में राज्यसभा से पास हुआ था. केंद्र सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनजाति के दर्जे को लेकर 1967 से जारी संघर्ष को समाप्त करते हुए इस पर मोहर लगाकर अधिसूचना जारी की थी ताकि इन लोगों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाए.

लेकिन हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को आरक्षण के प्रावधान को  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी. इस पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है.

हालांकि केंद्र सरकार से कानून बनने के बाद हिमाचल सरकार ने भी इसको हरी झंडी दिखा दी थी और अधिसूचना जारी कर दी थी. अब मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. अब हाटी समुदाय के लोगों को प्रमाण पत्र लेने के लिए कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना पड़ेगा.

इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रजनीश मानिकटला ने बताया कि हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए संविधान संशोधन और प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.

उन्होंने बताया कि जनजाति का दर्जा देने के लिए स्थानीय समुदाय मानदंड को आधार बनाया जाता है. इसके तहत उस इलाके के आर्थिक पिछड़ेपन और साक्षरता को कसौटी पर रखा जाता है. लेकिन हाटी समुदाय इन मानदंडों को पूरा करने में असफल रहा.

उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने पाया कि ट्रांसगिरि क्षेत्र में रहने वाला हाटी समुदाय निर्धारित शैक्षणिक और आर्थिक प्रावधानों को पूरा नहीं कर पाया है.

इस इलाके में एक गांव एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है. इसके साथ इस इलाके में 80 फीसदी साक्षरता दर है. उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.   

हाटी समुदाय की मांग

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967, यानी 55 सालों से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से संघर्षरत हैं. केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी.

उसके बाद केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को इस बिल को लोकसभा से पारित करवाया. उसके बाद यह बिल जुलाई 2023 में राज्यसभा से भी पारित हो गया. बाद में इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था. नौ दिनों में ही राष्ट्रपति ने विधेयक पर मुहर लगा दी थी.

सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में करीब तीन लाख लोग 4 विधानसभा क्षेत्र शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद और पांवटा साहिब में रहते हैं. जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं. इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है.

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