असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य यूसीसी को लागू करने के लिए सरकार विधानसभा में एक विधेयक पेश करेगी.
ऐसे में उत्तराखंड और गुजरात के बाद असम समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला देश का तीसरा राज्य बन जाएगा.
हालांकि, सीएम सरमा ने कहा कि राज्य की आदिवासी आबादी को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इसकी घोषणा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राज्य के लिए मसौदा विधेयक “असम मॉडल” के अनुरूप तैयार किया जाएगा.
सरमा ने कहा, “उत्तराखंड और गुजरात के बाद असम यूसीसी का अपना वर्जन लाएगा. मैं दोनों राज्यों के ऐसा करने का इंतजार कर रहा हूं. हम पहले से ही बाल विवाह और बहुविवाह से लड़ रहे हैं. इसलिए असम के बिल में कुछ बदलाव होंगे. यह असम केंद्रित इनोवेशन होगा. हम आदिवासियों को यूसीसी के दायरे से छूट देंगे.”
सीएम ने बताया कि असम के लागू होने वाली यूसीसी कानून में बाल विवाह और बहुविवाह जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर जटिलताएं आती हैं तो विधेयक को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी.
उन्होंने कहा कि हम यूसीसी पर उत्तराखंड विधेयक का इंतजार कर रहे हैं. इसके पेश होने के बाद असम कुछ अतिरिक्त प्रावधानों के साथ इसे लागू करेगा. हम उत्तराखंड विधेयक का अध्ययन करेंगे और देखेंगे कि क्या अगले दो से तीन महीनों के भीतर सार्वजनिक परामर्श संभव है.
समान नागरिक संहिता में व्यक्तिगत कानूनों के एक मानकीकृत सेट को लागू करने का प्रयास किया गया है जो समानता और न्याय को बढ़ावा देते हुए सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकल कानूनी ढांचे के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि देश दोहरे कानूनों के साथ काम नहीं कर सकता है. उनका मानना है कि यूसीसी संविधान के मौलिक सिद्धांतों और आदर्शों के अनुरूप है.
क्या है यूसीसी ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड मतलब एक समान नागरिक संहिता से है. इसके अतंर्गत पूरे देश में सभी के लिए एक कानून तय करना है.
देश में अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में नागरिकों के लिए एक से कानून होंगे.
यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (UCC) की मांग देश की आज़ादी के बाद से चलती आ रही है.
यह अकेला ऐसा कानून होगा जिसमें किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह नहीं की जाएगी. इसके अनुसार सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों मसलन संपत्ति, विवाह, विरासत, गोद लेने आदि में भी समान कानून लागू होगा.