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केरल: सहपाठियों के सामने आदिवासी छात्राओं के उतरवाए कपड़े

केरल के पलक्कड़ जिले में कुछ आदिवासी छात्राओं को उनके सहपाठियों के सामने कपड़े उतारने के लिए मजबूर करने के आरोप में प्री-मैट्रिक छात्रावास के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. यह घटना 22 सितंबर को शोलायुर के प्री मैट्रिक छात्रवास की बताई जा रही है.

दरअसल, पूरे छात्रवास में त्वचा संक्रमण फैल रहा है. जिसकी वज़ह से सभी छात्राओं को एक दूसरे के कपड़े पहनने से माना किया गया था. लेकिन चार आदिवासी छात्राओं ने एक दूसरे के कपड़े पहन लिए थे. जिसके बाद छात्रवास के अधिकारियों ने उन्हें अपने सभी सहपाठियों के सामने कपड़े उतारने के लिए कहा.

इस घटना के बाद छात्राओं के माता-पिता भड़क उठे और उन्होंने पुलिस में 26 सितंबर को सभी अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. माता-पिता ने ये भी बताया की उनके बच्चों ने अपने ही कपड़े पहने थे. वहीं अधिकारियों का कहना है की उन्होनें सिर्फ छात्राओं को कपड़े बदलने के लिए कहा था.

इस पूरी घटना में छात्रवास के चार अधिकारी अथिरा, कौशल्या, कस्तूरी और सूजा का नाम सामने आ रहा है.

पुलिस का कहना है की घटना की तहकीकात अभी ज़ारी है और वो ज़ल्द से ज़ल्द सच का पता लगाएंगे. शोलायुर थाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमारी पूछताछ के दौरान हमने पाया कि हॉस्टल में छात्रों के बीच किसी प्रकार का त्वचा संक्रमण हो गया था जिसके फैलने का खतरा था. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वार्डन ने लड़कियों से कहा कि वे अपनी सहपाठियों के साथ कपड़े बदलने से परहेज करें.

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन उस दिन प्रार्थना से लौटते समय करीब 4 छात्राओं ने कथित तौर पर एक-दूसरे के कपड़े पहने थे. इसलिए अधिकारियों ने लड़कियों को मौके पर ही कपड़े उतारने और अपने कपड़े पहनने के लिए कहा जिससे छात्राओं को मानसिक परेशानी हुई.
उन्होंने कहा कि जब हमने घटना के बारे में सुना तो हम तुरंत छात्रावास गए और एक छात्रा का बयान लिया. बयान के आधार पर तीन वार्डन और एक काउंसलर के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

बीजेपी के शाजुमोन वट्टेक्कड ने दी टिप्पणी

बीजेपी के एससी मोर्चा स्टेट प्रेजिडेंट ने कहा की आजकल एससी और एसटी लोगों के साथ केरल में अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. उन्होनें प्रशासन की निंदा करते हुए बताया की आदिवासी छात्राओं के कपड़े उतरवाने वाली ये घटना पूरे राज्य के लिए शर्म की बात है.

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