Site icon Mainbhibharat

छत्तीसगढ: आदिवासी हॉस्टल की अधीक्षक पर छात्राओं ने लगाए गंभीर आरोप

छत्तीसगढ के बलरामपुर की शिक्षा विभाग से परेशान कर देने वाली एक घटना सामने आई है. इस जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक में आदिवासी कल्याण विभाग के प्री मैटरिक छात्रावास में रह रहीं पांडू जनजाति की छात्राओं ने यहां की वार्डन पर आरोप लगाया है.

छात्राओं का कहना है कि न तो उन्हें मैन्यु चार्ट के मुताबिक भोजन दिया जाता है और न ही अन्य ज़रूरी वस्तुएं उपलब्ध करवाई जाती हैं. छात्राओं ने कहा कि उन्हें खाने-ओढ़ने का सामान अपने-अपने घरों से लाना पड़ता है.

छात्राओं ने यह आरोप भी लगाया है कि खराब गुणवत्ता का भोजन मिलने पर जब उन्होंने प्रधानाचार्य से शिकायत की तो भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला.

उनकी उम्मीद के विपरीत छात्रावास अधीक्षक ने उन्हें छात्रावास से निकालने की धमकी दे दी.

छात्राओं ने बताया कि अधीक्षक छात्राओं से टॉयलेट साफ़ करवाती हैं.

छात्राओं और उनके अभिभावकों ने इस मामले की शिकायत ज़िला कलेक्टर और कमिश्नर से की है. इन छात्राओं ने अधीक्षक को हटाने और अन्य ज़रूरी कार्यवाही की मांग की है.

इस शिकायत के बाद जांच के लिए जिस मंडल संयोजक (Divisional Coordinator) बुटन यादव को छात्रावास भेजा गया था, उसने बताया कि इन छात्राओं ने ज़िला कलेक्टर से शिकायत के दौरान कहा था कि छात्रावास अधीक्षक उन्हें हॉस्टल में नहीं रख रही है और निकालने की धमकी दे रही है. लेकिन छात्रावास के रजिस्टर में उनका नाम दर्ज है.

छात्राएं और अभिभावक इस जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है.

यह कोई पहला मामला नहीं है जब आदिवासी छात्रावासों में दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की शिकायत की गई है. शिकायत किए जाने के बावजूद कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण ही ऐसे मामले बढ़ते हैं.

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के स्कूल और हॉस्टल से लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं. बीते दिनों भी स्कूली बच्चों के मिड-डे मील में लापरवाही का मामला भी सामने आया था.

पिछले 6 महीने में छत्तीसगढ़ के आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए चलाए जा रहे हॉस्टल के रखरखाव में लापरवाही, छात्रों के साथ मारपीट या फिर ख़राब खाने से जुड़ी 7 घटनाएं दर्ज हुई हैं.

इसके अलावा हॉस्टल में मिलने वाली सुविधाओं में भ्रष्टाचार के भी कई मामले ख़बरों में आए हैं.

Exit mobile version