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आदिवासियों पर कितना ख़र्च, तेलंगाना ने केन्द्र से माँगा हिसाब

तेलंगाना के लिए साल 2020-21 के लिए शेड्यूल ट्राइब कॉम्पोनेन्ट के तहत कुल 104612 करोड़ रूपये का प्रावधान है. लोक सभा में एक सवाल के जवाब में जनजातीय मंत्रालय में राज्य मंत्री रेणुका सरूता ने यह जानकारी दी है. 

इस कुल राशी में से मंत्रालय ने मात्र 9,771 करोड़ रूपये ही अलॉट किए. इसमें से भी अगर ख़र्च पर नज़र डाली जाएगी तो हैरानी होगी. इसमें से मात्र 3583 करोड़ रूपये ही ख़र्च किए गए. 

लोक सभा में जनजातीय कार्य मंत्रालय से तेलंगाना के आदिवासियों के लिए बनने वाले योजनाओं का हिसाब किताब माँगा गया था. साल 2019-20 का हिसाब देते हुए मंत्री सरूता ने जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2019-20 में प्लान आउट ले कुल 75263 करोड़ रूपये था. लेकिन 7184 करोड़ रूपये का ही अलॉटमेंट किया गया. 

तेलंगाना की कुल आबादी का लगभग साढ़े 9 प्रतिशत आदिवासी है

शेड्यूल ट्राइब कॉम्पोनेन्ट जिसे पहले ट्राइबल सब प्लान कहा जाता था, बजट में आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं के लिए कुल धन राशी होती है.
इस धन राशी को आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने के पानी, स्वच्छता और जीविका से जुड़े कामों पर ख़र्च किया जाता है. 

2011 की जनगणना के अनुसार तेलंगाना की कुल आबादी का 9.3 प्रतिशत आदिवासियों का है. तेलंगाना की कुल आबादी साढ़े 3 करोड़ से ज़्यादा है. 

राज्य में कुल 9 ज़िलों में शेड्यूल एरिया हैं जिनमें 30 मंडल पूरी तरह से अनुसूचित क्षेत्र हैं और 55 मंडल आंशिक तौर पर इस श्रेणी में आते हैं. तेलंगाना के कुल 1174 गाँव हैं जिनमें आदिवासी आबादी रहती है. 

तेलंगाना में गोंड (Gond), कोया (Koya), प्रधान(Pradhan), अंध (Andh) आदिवासी समूहों के अलावा कोलम (Kolam), चेंचू (Chanchu), ठोटी (Thoti) और कोंडा रेड्डी (Konda Reddy) आदिवासी समूह हैं जिन्हें पीवीटीजी (PVTGs) की श्रेणी में रखा गया है. 

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