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बाल विवाह के साथ तस्करी का शिकार हुई आदिवासी बच्ची

महाराष्ट्र के पालघर ज़िले से एक बार फ़िर मानव तस्करी का मामला सामने आया है.

मिड़ डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पालघर के वाडा में एक 16 वर्षीय आदिवासी बच्ची को 50,000 रुपये में खरीदा गया और उससे ज़बरदस्ती शादी की गई.

वाडा तालुका के परली गांव में रहने वाली ये बच्ची कातकरी जनजाति से है.

इस लड़की को जबरन पत्नी के रूप में तस्करी करके लाया गया और बाद में एक बेटी को जन्म देने के बाद उसके पति और ससुराल वालों ने उसे उसकी बेटी समेत घर से निकाल दिया.

इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में पीड़िता की शादी 14 साल की उम्र में 27 वर्षीय बालासाहेब गाडे के साथ की गई थी. ये शादी पीड़िता के गांव परली के एक दलाल ने करवाई थी.  

पीड़िता ने अपनी एफआईआर में बताया कि उसकी मां ने शुरुआत में उसकी कम उम्र के कारण इस शादी के लिए मना कर दिया था.

लेकिन रवि कृष्ण कोरे नाम के दलाल ने उसकी मां को धमकाया और कहा कि उसने दोबारा शादी कर ली है इसलिए पीडिता पर उसका अधिकार खत्म हो गया है.

दूल्हे के परिवार ने धमकी दी कि अगर शादी तुरंत नहीं हुई तो वे उसे इज़्ज़तदार नहीं रहने देंगे.

जबरन शादी करने के बाद, उसका शोषण शुरू हो गया.

उसके पति ने कथित तौर पर बाल विवाह को छिपाने के लिए उसके आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि बदलवाकर 20 अक्टूबर, 2003 करवा दी, जबकि उसका जन्म 10 अक्टूबर 2008 का बताया गया है.

शादी के एक साल बाद 2023 में उसे जबरन गर्भवती कर दिया गया. अक्टूबर 2023 में उसने एक बच्ची को जन्म दिया.

बेटी के जन्म से नाखुश पति ने कथित रूप से पीडिता का और अधिक शोषण करना शुरु कर दिया.

बालासाहेब गाडे ने पहले तो पीडिता और उसके घरवालों से बार-बार 50,000 रुपये लौटाने को कहा.

पीड़िता के अनुसार, उसका पति अक्सर उसे यह कहकर ताने देता था कि वह उसे 50 हज़ार रुपये में लेकर आया है और उस पर झूठे आरोप लगाकर पैसे वापस मांगता था

सितंबर 2025 में गाडे ने ज़बरदस्ती पीड़िता को 2 साल की बच्ची के साथ उसके मायके वापस भेज दिया और वापस न आने को कहा.

श्रमजीवी संगठन महाराष्ट्र के कार्यकर्ताओं की मदद से वाडा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया.

एफआईआर के बाद पुलिस ने पीडिता के पति और शादी करवाने वाले दलाल को गिरफ़तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है.

ये कोई पहली घटना नहीं है, महाराष्ट्र के पालघर और आस-पास के आदिवासी इलाकों से नाबालिग आदिवासी बच्चियों की तस्करी और शोषण के मामले कई बार सामने आते हैं.

आदिवासी बच्चियों की तस्करी के मामले सिर्फ महाराष्ट्र से ही नहीं बल्की दूसरे राज्यों के आदिवासी इलाकों से भी सामने आते हैं.

सोमवार को झारखंड के खूंटी ज़िले से भी दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों की तस्करी का मामला सामने आया है.

हालांकि इन दोनों लड़कियों को बचा लिया गया है और उनके माता-पिता को सौंप दिया गया है.

इन लड़कियों को कथित तौर पर तस्करी कर दिल्ली लाया गया था और घरेलू काम करने के लिए मजबूर किया गया था.

आदिवासी इलाकों में प्रवृत्त शिक्षा की कमी और गरीबी के कारण तस्करों के लिए आदिवासी परिवारों को निशाना बनाना आसान होता है. इसलिए इस तरह के मामले कई आदिवासी इलाकों से सामने आते हैं.

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