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मणिपुर: चाहे मान्यता दो या न दो, अपना शासन स्थापित करेंगे – कुकी-ज़ो समुदाय की केंद्र को चुनौती

मणिपुर के कुकी-ज़ो जनजातियों के संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने दावा किया है कि वो अपने प्रभुत्व वाले इलाकों में अपना अलग ‘स्वशासित प्रशासन’ स्थापित करने के लिए तैयार हैं, भले ही केंद्र उन्हें मान्यता दे या न दे.

ITLF का बयान राज्य में 6 महीने से भी अधिक समय से जारी जातीय हिंसा के बाद सामने आया है.

बुधवार को चुराचांदपुर ज़िले में आईटीएलएफ ने एक बड़ी रैली का आयोजन किया था. जिसका उद्देश्य अलग प्रशासन की अपने मूल मांग पर जोर देने के साथ ही कथित तौर पर कुकी जनजाति के 22 लोगों की हत्या की सीबीआई या एनआईए से जांच कराने का अनुरोध करना भी शामिल था.

ITLF के महासचिव मुआन टॉम्बिंग ने चुराचांदपुर जिले में एक विरोध प्रदर्शन के बीच संवाददाताओं से कहा, “6 महीने से अधिक समय हो गया है और मणिपुर सरकार से अलग प्रशासन की हमारी मांग के संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया.”

महासचिव ने आगे कहा, “अब अगर कुछ हफ्तों के भीतर हमारी आवाज नहीं सुनी गई तो हम अपनी स्वशासन की स्थापना करेंगे. चाहे जो भी हो. केंद्र इसे माने या न माने, हम आगे बढ़ेंगे.”

टॉम्बिंग ने कहा, “एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की तरह, हम एक स्वशासन स्थापित करेंगे, जो कुकी-ज़ो क्षेत्रों में सभी मामलों को देखेगी. हमें ऐसा करना होगा क्योंकि हमारी आवाज नहीं सुनी जा रही है.”

इसके अलावा भाजपा के 10 आदिवासी विधायकों ने भी मणिपुर को पूरी तरह से अलग करने की मांग की है। विधायकों ने कहा है कि राज्य सरकार पर घाटी-बहुसंख्यक मैतेई समुदाय का दबदबा है.

वहीं आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा है कि कुकी-ज़ो समुदाय के कई सदस्यों की क्रूर हत्याएं हुई हैं. लेकिन सीबीआई या केंद्रीय एजेंसियों ने उनकी जांच नहीं की है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यह रैली कुकी-ज़ो लोगों पर हुए अत्याचारों के विरोध में है.

मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी.

यहां तभी से बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष जारी है.

मणिपुर हिंसा में अबतक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

वहीं केंद्र सरकार ने सोमवार को मणिपुर के मैतेई के उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबेरशन आर्मी (PLA) समेत 9 उग्रवादी संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया था.

गृह मंत्रालय ने इन सगठनों की अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए इन्हें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया.

सरकार का मानना है कि ये सुरक्षाबलों, पुलिस और नागरिकों पर हमलों और हत्याओं के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं.

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