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छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मी ने आदिवासी बच्चियों से कराई जबरन मजदूरी

छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार और बाल संरक्षण कानूनों को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है.

राज्य के महासमुंद जिले में एक पुलिस कांस्टेबल पर दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों से बंधुआ मजदूरी कराने और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगे हैं.

बताया गया कि आरोपी पुलिसकर्मी ने दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों को अपने सरकारी क्वार्टर में रखा हुआ था और इन लड़कियों को घर के कामकाज, साफ-सफाई और अन्य निजी कार्यों को करने लिए मजबूर किया गया.

शुरुआती रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि उन्हें कई बार पीटा गया और डराया-धमकाया गया, जिससे वे बेहद डर के माहौल में जी रही थीं.

यह घटना तब उजागर हुई जब दोनों बच्चियां किसी तरह आरोपी के चंगुल से भागकर महिला थाना पहुंचीं.

वहाँ उन्होंने पूरी कहानी सुनाई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ FIR दर्ज की और मामले की जांच शुरू कर दी गई है.

पुलिस ने बताया कि मामला सिर्फ बंधुआ मजदूरी का नहीं है, बल्कि मानव तस्करी, बाल शोषण और अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न अधिनियम के तहत भी गंभीर धाराएँ जोड़ी गई हैं.

महिला और बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन और अनुसूचित जनजाति आयोग भी मामले की निगरानी कर रहे हैं.

पुलिस विभाग ने प्रारंभिक कार्रवाई करते हुए आरोपी पुलिसकर्मी को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है.

सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान CCTV फुटेज, स्थानीय गवाह और चिकित्सकीय परीक्षणों का सहारा लिया जा रहा है.

बच्चियों का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया है और उन्हें बाल संरक्षण गृह भेजा गया है.

घटना के बाद स्थानीय आदिवासी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. वे मांग कर रहे हैं कि आरोपी को केवल विभागीय जांच नहीं बल्कि सख्त कानूनी सजा दी जाए, जिससे ऐसी घटनाएं दोबारा न हो.

इस मामले में सरकार और न्यायपालिका से उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द से जल्द और पारदर्शी कार्रवाई करें, ताकि इन बच्चियों को न्याय मिल सके और समाज में एक सशक्त संदेश जाए.

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