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छत्तीसगढ़: CM भूपेश बघेल ने कोंडागांव में जनजातीय विश्राम गृह का किया उद्घाटन

राज्य सरकारें रिमोट एरिया में रहने वाले आदिवासियों को सुविधा प्रदान करने के लिए जनजातीय विश्राम गृह (Tribal Rest House) बनाती है. इससे दूरदराज के आदिवासी बस्तियों में रहने वाले जो लोग सरकारी दफ्तरों में दस्तावेजों से जुड़े काम के लिए आते हैं और जबतक इससे जुड़ा काम पूरा नहीं हो जाता है तब तक के लिए उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं होती है.

तो वह लोग सरकार के बनाए इन जनजातीय विश्राम गृह में रुकते या रहते है. वैसे यह जनजातीय विश्राम गृह राज्य के अगल- अगल जगहों पर है.

अब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोंडागांव (Kondagaon) जिले में भी यह जनजातीय विश्राम गृह बनाया गया है.

इस दो मंजिला इमारत और 2 करोड़ की लागत से बने जनजातीय विश्राम गृह का उद्घाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) द्वारा किया गया.
उद्घाटन समारोह में कई बड़े-बड़े प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हुए. जैसे आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma), छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष संतराम नेताम (Santaram Netam), पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहन मरकाम (Mohan Markam) और बस्तर निर्वाचन क्षेत्र के सांसद दीपक सोनी (Deepak Soni) आदि.

उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा की मुझे गर्व और संतुष्टि है की छत्तीसगढ़ की सबसे खूबसूरत इमारत बनके तैयार हो गई है.

इसके साथ ही उन्होंने कहा की इस नवनिर्मित प्रतिष्ठान का सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र में भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा यह र्निमाण राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के पास बना है जो की इसकी अभिगम्यता को बढ़ाता है.

उद्घाटन समारोह में एक बड़ी घोषणा भी की गई. जिसमें सामाजिक कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया. जिसके अंतर्गत कोंडागांव जिले में 54 समुदायों के लिए सामाजिक भवनों के निर्माण के लिए 9 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया.

जनजातीय विश्राम गृह की सुविधाएँ

इस जनजातीय विश्राम गृह को कई जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से बनाया गया है. इसके अंदर एक विशाल असेंबली हॉल, वेटिंग हॉल, आवास कक्ष, आधिकारिक कक्ष, सम्मेलन कक्ष और एक रसोईघर भी है.

इसके साथ ही इसमें शौचालय के साथ-साथ 13 दुकानें भी हैं. कुल मिलाकर इस जनजातीय विश्राम गृह में एक व्यक्ति के सुविधा की हर चीजें मौजूद है.

जनजातीय विश्राम गृह की सुविधाओं के बारे में सुनकर ऐसा लगता है कि इसमें ठहरने वाले आदिवासियों के रहने, खाने- पीने और नाहने- धोने जैसी सारी आवश्यकताएं पूरी हो सकेगी.

इसके अलावा इसमें आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कला प्रदर्शन आदिवासियों की संस्कृती को भी प्रोत्साहित करेगा.

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