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जम्मू कश्मीर: द्रोपदी मुर्मू ने लद्दाख के आदिवासियों के जीवनशैली को संरक्षित करने का आह्वान किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने लद्दाख दौरे के दूसरे दिन लेह के सिंधु घाट में उनके सम्मान में आयोजित एक नागरिक अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए लद्दाख और वहां के आदिवासियों के बारे में कई बातें कही हैं.

दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 31 अक्टूबर से 1 नवंबर तक लद्दाख के दौरे पर थीं. 31 अक्टूबर को वह लेह में यूटी लद्दाख के स्थापना दिवस समारोह में शामिल थीं. 1 नवंबर को उन्होंने लेह में उनके सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया था.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

राष्ट्रपति ने कहा है कि लद्दाख की सभी नदियों और ग्लेशियरों से उपलब्ध जल संसाधनों का संरक्षण और उचित उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है.

भारत के लोगों में लद्दाख के लोगों के प्रति विशेष स्नेह एंव सम्मान की भावना है और वे राष्ट्र की रक्षा में लद्दाख के लोगों के योगदान के बारे में जानते हैं.

इस क्षेत्र के लोग बहादुरी और बुद्ध के प्रति अपनी आस्था के लिए जाने जाते हैं और यहां के भगवान बुद्ध के अमर एंव जीवंत संदेश लद्दाख के माध्यम से दूर-दूर के देशों में फैला है.

उन्होंने ने कहा कि यह खुशी की बात है कि लद्दाख में कई आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराएं जीवित है और लोग प्रकृति के प्रति स्नेह एंव सम्मान के बारे में जानते हैं, जो आदिवासी समुदायों की कलाओं, नृत्यों, गीतों एंव जीवनशैली में परिलक्षित होता है.

एक बात पर प्रकाश डालाते हुए उन्होंने बताया है कि हमें पर्यावरण के लिए जीवन शैली के अनुसार आदिवासी समुदायों की जीवन शैली को संरक्षित करना चाहिए.

इसके साथ ही इन समुदायों के लोगों को भी आधुनिक विकास की अच्छाइयों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि परंपरा एंव आधुनिकता के इस संगम से लद्दाख के लोगों के साथ ही सभी नागरिकों के लिए सतत विकास (sustainable development) का सही मार्ग साबित होगा सकता है.

द्रौपदी मुर्मू ने लद्दाख की हालिया उपलब्धियों के बारे में भी बात करते हुए कहा है कि लद्दाख की रकत्से कारपो खुबानी, पश्मीना ऊन और लकड़ी की नक्काशी को जीआई टैग प्रदान किया गया है.

त्सेरिंग नामग्याल जिन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उन जैसे शिल्पकारों की कई पीढ़ियों ने यहां लकड़ी की नक्काशी को आगे बढ़ाया है.

इसके अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रोकपा, चांगपा, बाल्टी के साथ ही लद्दाख के जनजातीय समूहों और स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की है.

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