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झारखंड: लुगु पावर प्लांट के खिलाफ संथाल आदिवासियों का आंदोलन

संथाल आदिवासी समुदाय के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन – संथाल समाज दिशोम मांझी परगना ने सोमवार को कहा कि वह झारखंड के बोकारो जिले के लालपनिया गांव के बाहरी इलाके में लुगु पहाड़ी पर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के प्रस्तावित हाइडल पावर प्लांट के खिलाफ 5 नवंबर से राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा.

हुए संथाल के शीर्ष संगठन के केंद्रीय समिति के अध्यक्ष फागु बेसरा ने डीवीसी से प्रस्तावित प्लांट को वापस लेने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि लुगु पहाड़ी के ऊपर स्थित लुगु बुरु घंटा बाड़ी, संथाल समुदाय के सदस्यों के लिए पूजा स्थल है और ये उनकी धार्मिक भावनाओं पर हमला है.

उन्होंने कहा, “हम अपनी पवित्र पहाड़ी पर अतिक्रमण करने और हमारे पूजा स्थल को नष्ट करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगे.” वहीं डीवीसी के एक अधिकारी ने कहा की प्रस्तावित प्लांट सरकार द्वारा स्वकृति परियोजना है.

इस बीच एक धार्मिक समुदाय के सदस्य पहाड़ी पर कथित अतिक्रमण के विरोध में 12 नवंबर को गिरिडीह में पारसनाथ पहाड़ी के पास भी प्रदर्शन करेंगे. सत्तारूढ़ झामुमो के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि संथाल प्राचीन काल से ही इस क्षेत्र में मारंग बुरु की पूजा करते रहे हैं.

ब्रिटिश भारत सरकार ने जैन समुदाय को तीन डिसमिल जमीन दी थी, जिसका उल्लेख ब्रिटिश भारत सरकार के गेजेट में है. लेकिन जैन समुदाय के लोगों ने पूरी पारसनाथ पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है. दरअसल, पारसनाथ पहाड़ पर जैन समुदाय के कई मंदिर हैं. इस समुदाय के लिए यह एक पवित्र स्थान है जहां पर जैन समुदाय के लोग तीर्थ के लिए आते हैं.

वहीं आदिवासी समुदाय इस पहाड़ को मारंग बुरु कहते हैं. उनके लिए भी यह आस्था का बड़ा केंद्र रहा है. सदियों से झारखंड के गिरिडीह में बसे आदिवासी, जैन और गैर आदिवासी लोग इस जगह को साझा कर रहे हैं. लेकिन अब यह आपसी भाईचारा और शांति भंग हो गई है.

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