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महाराष्ट्र: बेलापुर के स्थानीय आदिवासियों को मिलेगा पहला कम्युनिटी सेंटर

महाराष्ट्र के बेलापुर में स्थानीय आदिवासी समुदाय को खुश होने की एक वजह मिली है. इस छोटे से समुदाय को नवी मुंबई में अपनी तरह का पहला आदिवासी भवन मिला है. क्योंकि इससे पहले यहां आदिवासियों के लिए कोई कम्युनिटी सेंटर नहीं था.

यह भवन बेलापुर के आर्टिस्ट विलेज के पास सेक्टर 8 में सिविक ग्राउंड से सटे 1,000 वर्ग फुट के भूखंड पर 25 लाख रुपये की लागत से बनाया जा रहा है.

बेलापुर में बनने वाले इस कम्युनिटी सेंटर को आदिवासी भवन का नाम दिया गया है. इसके लिए बेलापुर की भाजपा विधायक मंदा म्हात्रे ने अपने विधायक निधि से इस सुविधा के लिए धन दिया है. जबकि भूमि नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) द्वारा आवंटित की गई है.

कम्युनिटी सेंटर का लाभ

यह दावा किया जा रहा है कि इस कम्युनिटी सेंटर में आदिवासी समुदाय दैनिक मनोरंजक गतिविधियों के साथ ही विवाह, त्योहार, प्रदर्शनी, सभा आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करा सकते हैं.

एनएमएमसी ने भवन के लिए बुनियादी नागरिक सुविधाएं प्रदान की हैं और निर्माण कार्य की निगरानी भी की है.

आदिवासियों का कहना है कि यह भवन उनकी एकमात्र पहचान होगी. जहां वे सभी एक साथ आकर गुणवत्तापूर्ण समय बिता सकेंगे. इसके अलावा उनके पास उनके बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए भेजने के लिए कोई जगह नहीं थी लेकिन अब हमारे पास कम्युनिटी सेंटर होगा.

स्थानीय आदिवासियों ने स्थानीय विधायक मंदा म्हात्रे और नवी मुंबई नगर निगम के इस प्रयास की सराहना की और कहा है कि उन्होंने इस हाशिये पर पड़े समुदाय के बारे में सोचा.

समुदाय के सदस्य रमाबाई ने कहा कि हम इससे और अधिक नहीं मांग सकते है.

सुमदाय के अन्य सदस्यों ने भी कम्युनिटी सेंटर बनाने के लिए नवी मुंबई नगर निगम और म्हात्रे की प्रशंसा की और कहा की वह लोग भूस्खलन एंव भारी बारिश के समय यहां पर शरण ले सकते हैं. क्योंकि नवी मुंबई के बेलापुर के आदिवासी दशकों से पारसिक पहाड़ी की तलहटी में झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं.

इस इलाके में करीब 40 परिवार हैं. जिन्हें आमतौर पर मानसून के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि तूफान का पानी उनके घरों में घुस जाता है और सामान को नुकसान पहुंचाता है.

अब नवी मुंबई में बनने वाले इस कम्युनिटी सेंटर में आदिवासी अपने त्योहार मनाने, कार्यक्रम करने और प्रकृतिक आपदा के समय बचने के लिए शरण ले सकते हैं. जो आदिवासियों के लिए बहुत मद्दगार साबित हो सकता है

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