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धनगर समुदाय को एसटी दर्जा देने के विरोध में आदिवासी संगठनों ने नासिक में निकाला प्रदर्शन मार्च

आजकल कई समुदाय आदिवासी होने का दावा कर रहे हैं और इसके साथ अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण का लाभ उठाना चाहते हैं. इतना ही नहीं कई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल करा देते है. जिसके बाद यह एक राजनीतिक मुद्दा बन जाता है.

अब महाराष्ट्र के धनगर समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में धनगर समुदाय को एसटी का दर्जा देने की किसी भी योजना के विरोध में सैकड़ों आदिवासियों ने गुरुवार को नासिक में प्रदर्शन मार्च निकाला.

यह मार्च नासिक के तपोवन के साधुग्राम, पंचवटी और रविवारा कारंजा एवं एमजी रोड जैसे इलाकों से होकर गुजरा और प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हुए नारे लगा रहे थे.

कुछ प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि धनगर समुदाय को एसटी का दर्जा बीजेपी की एक चाल है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री भारती पवार और एमएलसी (विधान पार्षद) गोपीचंद पडलकर के खिलाफ भी नारे लगाए.

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि धनगर समुदाय को पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण मिला हुआ है और उन्हें एसटी का दर्जा देने से आदिवासियों के लिए अवसर और कम हो जाएंगे.

प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की कि धनगर समुदाय के लिए आरक्षण पर कोई भी निर्णय आदिवासी सलाहकार समिति की मंजूरी के बिना नहीं लिया जाना चाहिए.

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि धनगर समुदाय पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट को चर्चा के लिए विधानमंडल में पेश किया जाना चाहिए.

वहीं प्रदर्शन मार्च के कारण नासिक में कल पुलिस को यातायात डाइवर्ट करना पड़ा था. इसके साथ ही पुलिस ने सुबह 11 बजे से विरोध मार्च खत्म होने तक कुछ सड़कों पर वाहनों के आवाजाही पर रोक लगा दिया था.

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