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ओडिशा के आदिवासी आवासीय स्कूलों के रसोईघरों में इको फ्रेंडली तकनीकों का होगा इस्तेमाल

ओडिशा सरकार (Tribes of Odisha) ने यह फैसला किया है की वे सभी आदिवासी स्कूलों और छात्रवासों के रसोईघरों में खाना बनाने की पांरपरिक तकनीकों को बदला जाएगा. इसके लिए उन्होंने 2025 या 2026 तक का लक्ष्य रखा है.

खाना बनाने की पारंपरिक तकनीकों को बदलने के लिए इन सभी आदिवासी स्कूलों और छात्रवासों में एलपीजी गैस का इस्तेमाल किया जाएगा.

इस मामले से जुड़े अधिकारी, रूपा रोशन साहू ने बुधवार को सभी कलेक्टरों को यह निर्देश दिया की स्कूलों, छात्रावासों और प्रतिष्ठानों में “इको-फ्रेंडली” अभियान अपनाया जाए.

एससी और एसटी विकास के प्रशासनिक नियंत्रण विभाग और एम एंड बीएसडब्ल्यू के अंतर्गत 1736 स्कूल आते हैं. अन्वेषा और आकांख्या प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य भर में 6000 छात्रवास है. जिसमें 5 लाख से भी ज्यादा एसटी और एससी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं.

रूपा रोशन साहू ने दावा किया की सरकार ने अब तक आदिवासी स्कूल और छात्रवास के लिए कई विकास कार्य किए है. इसी कड़ी में सरकार ने यह फैसला लिया है की सभी स्कूलोँ और छात्रवासों के रसोईघर के पारंपरिक तकनीकों को भी बदलने की जरूरत है.

उन्होंने यह भी दावा किया की आने वाले दो साल 2024-2025 और 2025-2026 तक सभी रसोईघरों में एलपीजी गैस उपलब्ध हो जाएगी.

422 माध्यमिक स्कूल, 62 उच्च माध्यमिक स्कूल, 1 बीजू पटनायक आदर्श विद्यालय, 5 कलिंगा मॉडल आवासीय स्कूल, 93 अन्वेषा हॉस्टल को इस योजना में शामिल किया गया है.

इन सभी स्कूलों में 1,222 छात्रावास शामिल होंगे, जिनमें 1,76,000 एससी और एसटी बच्चे रह रहें हैं. इसके अलावा शेष स्कूलों और छात्रावासों को 2025-26 के दौरान कवर किया जाएगा.

ये भी दावा किया जा रहा है की जून 2024 तक राज्य के 50 माध्यमिक स्कूल, 20 उच्च माध्यमिक स्कूल, 5 कलिंगा मॉडल आवासीय स्कूल, 1 बीजू पटनायक आदर्श विद्यालय और 25 अन्वेषा छात्रावासों के रसोईघरों को बदल दिया जाएगा.

एक जगह प्रशासन आधुनिक तकनीकों की बात करती है तो दूसरी ओर आदिवासी स्कूलों में आज भी चूल्हे का इस्तेमाल किया जा रहा है. अब जाकर चुनाव के इस महौल में आदिवासी वोट बैंक हासिल करने के लिए इन परांपरिक तकनीकों के बदलाव पर ज़ोर दिया गया.

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