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तमिलनाडु: मुफ्त नाश्ता योजना ने खोली आदिवासी बच्चों की किस्मत


तमिलनाडु (Tamil Nadu) सरकार की कक्षा 1 से 5 तक छात्रों के लिए मुफ्त नाश्ता योजना की तरह गुडलूर (Gudalur) तालुक में हाई स्कूल के कक्षा 6 से 10 के आदिवासी छात्रों को मुफ्त नाश्ता परोसा जा रहा है.


इसकी पहल गुडलुर नगर पालिका के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और छह पार्षदों सहित निर्वाचित प्रतिनिधि ने की. इन्होंने करमादाई (Karamadai) के बराली में पावर हाउस क्षेत्र के हाई स्कूल में कक्षा 6 से 10 के आदिवासी छात्रों को नाश्ता परोसा जा रहा है.


इतना ही नहीं इन छात्रों को जंगली जानवरों के ख़तरों से बचाने के लिए उन्हें लाने और छोड़ने के लिए एक वाहन की व्यवस्था की गई है.


इस पहल के बाद अच्छे परिणाम मिल रहे है क्योंकि करीब 15 छात्र, जो स्कूल नहीं जाते थे अब वे नियमित रूप से स्कूल जाने लगे हैं.


बरलिकाडु की कक्षा 9 की छात्रा अनुसूइया ने मीडिया को बताया कि मेरी मां बीमार रहती हैं इसलिए मेरी दादी और मेरी बहन उनकी देखभाल कर रही हैं.

बीमार रहने के कारण मां घर के काम करने में सक्षम नहीं है इसलिए मैं अक्सर नाश्ता नहीं करती थी और खाली पेट स्कूल जाती थी.

जिसके चलत मैं कई दिनों तक थका हुआ महसूस करती थी और पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे पाती थी.
लेकिन अब मुफ्त नाश्ते की योजना ने जिंदगी बदल दी है.

अनुसूइया ने कहा कि अन्य छात्रों की तरह वह भी खुश हैं क्योंकि स्कूल में रोजाना स्वादिष्ट नाश्ता परोसा जाता है. उसी बस्ती के कक्षा 9 की एक अन्य छात्रा एस रुबिनी ने कहा कि मुफ्त स्कूल वैन की शुरुआत के बाद मेरे साथ करीब 20 छात्र बिना किसी जंगली जानवर के ख़तरे के स्कूल तक पहुंचते पाते हैं.

इसके साथ ही स्कूल पहुंचते ही नाश्ता मिलता है. बच्चों ने बताया की पहले हम स्कूल 11.30 में पहुंचते थे क्योंकि बस्ती में 11 बजे के बाद ही सरकारी बस चलती है. लेकिन अब मुफ्त वैन सेंवा के बाद हम स्कूल समय पर पहुंच पाते हैं और ये सुरक्षित भी है.


स्कूल की एचएम जी विजयलक्ष्मी ने बताया कि इस पहल के बाद 16 छात्र, विशेष रूप से लड़कियां नियमित रूप से कक्षाओं में रही हैं और उनकी शिक्षा में सुधार हुआ है. पहले, नाश्ते और परिवहन की कमी के कारण ये छात्र स्कूल नहीं आते थे.


इस पहल की शुरूआत करने वाले गुडलूर नगर पालिका अध्यक्ष ए अरिवरासु ने बताया कि जब मैंने अथिकादावु में एक सरकारी समारोह में भाग लिया था तो बरलिकाडु के लोगों ने मुझसे छात्रों को नाश्ता खिलाने का अनुरोध किया था.

जिसके बाद मैंने अपने 15 हज़ार रुपये के मानदेय का उपयोग करके इसे करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि इस विचार को मैंने उपाध्यक्ष और वार्ड सदस्यों के साथ साझा किया और उन्होंने स्वेच्छा से इसके लिए अपना मानदेय साझा किया.

उनके सहयोग से यह योजना अगस्त में स्कूल में शुरू हो पाई है. अब लगभग 56 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं.
हम इस योजना पर प्रति माह 40 हज़ार रुपये खर्च करते हैं.

उन्होंने नाश्ता तैयार करने के लिए स्कूल में दो रसोइयों को नियुक्त किया है और प्रत्येक को अपनी जेब से 5 हज़ार रुपये का वेतन देते हैं.


एक सामाजिक कार्यकर्ता, जे एलेक्स, जो छात्रों के लिए एक वैन चला रहे हैं. उन्होंनें बताया कि वैन दस आदिवासी बस्तियों जैसे अथिकादावु, कोरप्पाथी आदि को कवर करती है. जिसके बाद छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है.


उन्होंने आगे कहा कि अध्यक्ष वैन की ईएमआई चुकाने के लिए हर महीने 15 हज़ार रुपये देते हैं.

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