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आदिवासी छात्रों की ऑनलाइन लर्निंग कैसे हो? केरल ने पेश किया वीसैट मॉडल

केरल कैबिनेट ने राज्य के अलग अलग हिस्सों में आदिवासी बस्तियों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए मंजूरी दे दी है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को कहा कि कैबिनेट ने जनजातीय क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है ताकि वहां के बच्चे स्वतंत्र रूप से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकें. 

पिनाराई विजयन ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा के लिए टेलिकॉम टावर लगाने के लिए जमीन लीज पर दी जाएगी.

उन्होंने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में टावर नहीं लगाए जा सकते हैं या केबल नहीं बिछाई जा सकती हैं वहां बहुत छोटे एपर्चर टर्मिनल (VSAT) तकनीक के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा प्रदान की जाएगी. 

वीसैट एक दो तरफा सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन है जिसमें नैरो बैंड और ब्रॉडबैंड डेटा ट्रांसमिशन और संचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डिश एंटीना है.

सीएम ने यह भी कहा कि जहां केएसईबी, पीडब्ल्यूडी या स्थानीय निकायों के पोल और अन्य संरचनाओं जैसे बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करके जनजातीय क्षेत्रों में इंटरनेट केबल का विस्तार किया जाएगा. इन अधिकारियों द्वारा इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा.

केरल देशभर में उच्च साक्षरता दर वाले राज्य के तौर पर जाना जाता है. राज्य में उच्चस्तरीय शिक्षा तक आसान पहुंच भी यहां की खासियत है. लेकिन कोविड-19 की वजह से राज्य में शिक्षा के प्रवाह पर असर पड़ा है.  रियलिटी चेक के जरिए ये पता चला केरल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर शिक्षा के शिफ्ट होने से छात्रों को कैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है.

वायनाड उत्तरी केरल में ऊंचाई पर स्थित जिलों में से एक है. सरकारी डेटा के मुताबिक इस जिले का 74.10 फीसदी क्षेत्र जंगल है. राज्य में आदिवासियों की सबसे ज्यादा आबादी इसी जिले में है. पर्यावरण की दृष्टि से ये क्षेत्र बेशक उत्तम हो लेकिन जब इंटरनेट कनेक्टिविटी की बात आती है तो यहां कई तरह की चुनौतियों का सामना है. खास तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई करने वालों के लिए.

जैसे कि हम थिरूनेल्ली से पनावल्ली की ओर वन क्षेत्र से आगे बढ़े हमने देखा कि छात्र-छात्राएं ऊंचे पुल पर सड़क के दोनों किनारों पर बैठे हैं. ये छात्र-छात्राएं ऑनलाइन क्लासेज अटैंड करने के लिए यहां बैठे दिखे. पनावल्ली एक छोटी रिहाइशी बस्ती है जो चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरी है. यहां पर मुश्किल से ही कोई मोबाइल नेटवर्क काम करता है. ऑनलाइन क्लासेज अटैंड करने के लिए इन छात्र-छात्राओं को ऐसा स्थान ढूंढने की मशक्कत करनी पड़ती है जहां सही कनेक्टिविटी मिल सके.

केरल ही नहीं ऑनलाइन लर्निंग उन सभी राज्यों में एक चुनौती है जहां आदिवासी आबादी है. इस सिलसिले में कई स्टडी यह दावा करती हैं कि कोविड के बाद पूरे देश में आदिवासी छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है. इसके साथ ही यह भी पता चला है कि बड़ी तादाद में आदिवासी बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं.

आदिवासी इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी या तो है ही नहीं या फिर ना के बराबर है. इसलिए बाक़ी चुनौतियों के साथ साथ यह भी एक बड़ा कारण है कि आदिवासी इलाकों में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है.

अफ़सोस की बात ये है कि अभी तक केन्द्र या किसी राज्य सरकार ने इस सिलसिले में कोई नीतिगत पहल नहीं की है.

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