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कश्मीर में स्थापित होगा आदिवासी रिसर्च इंस्टीट्यूट, वर्ल्ड क्लास बनाने का दावा

कश्मीर में जनजातियों की संस्कृति, भाषा, जीवन शैली और इतिहास पर रिसर्च और बढ़ावा देने के लिए जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) की स्थापना की जा रही है.

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार ने जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI) की स्थापना के लिए एक अंतर विभागीय कार्य समूह (Inter Departmental Working Group) का गठन किया है. इस संस्थान को केंद्र द्वारा फंड जारी किया जाएगा.

जनजातीय मामलों के विभाग द्वारा दिए गए प्रस्ताव के आधार पर सामान्य प्रशासनिक विभाग ने कार्य समूह गठित करने का आदेश जारी किया. कार्य समूह का नेतृत्व जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव करेंगे. उन्हें जनजातीय अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर के रूप में भी नामित किया गया है.

कार्यकारी समूह के सदस्यों में निदेशक, अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय, जम्मू-कश्मीर, निदेशक लाइब्रेरी, निदेशक जनजातीय मामलों के विभाग के अलावा कश्मीर विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय और बाबा बडशाह गुलाम शाह विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि सदस्य होंगे.

कार्य समूह को विभागों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हित धारक संगठनों के साथ व्यापक समन्वय तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इतना ही नहीं अलग-अलग अनुसंधान और विकास विभागों की स्थापना और जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए नीतिगत मुद्दों पर सलाह भी देनी होगी.

जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव डा. शाहिद इकबाल चौधरी का कहना है कि सरकार अनुसंधान के लिए एक सर्वश्रेष्ठ इंस्टीट्यूट बना रही है. इसका मकसद जनजातीय समुदाय के लोगों का कल्याण करना है.

उन्होंने अनुसंधान और विश्लेषण को योजना और विकास प्रक्रिया का आधार, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और आदिवासी आबादी के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य बताया.

शाहिद इकबाल ने कहा कि जनजातीय अनुसंधान संस्थान को समय के साथ एक डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की योजना है. इस वर्ष स्थापना के पहले चरण में अनुसंधान संस्थान जनजातीय स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रावासों के आधुनिकीकरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भागीदारी संबंधों पर काम करेगा.

चालू वर्ष के लिए जनजातीय मामलों के विभाग ने खानाबदोश समुदायों के लिए केंद्रीकृत पोर्टल का विकास, हाइलैंड चरागाहों का मैप, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, खानाबदोश जनजातियों का डाक्यूमेंटेशन, आदर्श गांव, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आजीविका, ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर काम होगा. जनजातीय समुदायों के कल्याण और विकास में असाधारण प्रदर्शन के लिए वार्षिक पुरस्कार भी दिए जाएंगे.

टीआरआई का मुख्य परिसर श्रीनगर में बन रहा है, जबकि इसके कैंपस राजौरी, पुंछ और जम्मू में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है. जीडीसीटी जम्मू, केंद्रीय विश्वविद्यालय, जम्मू और बीजीएसबी विश्वविद्यालय राजौरी में जनजातीय अनुसंधान चेयर की स्थापना का भी प्रस्ताव है.

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