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आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए 70 हज़ार करोड़ रुपये की लागत वाला ‘जनजातीय गौरव कॉरिडोर’

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में प्रदान की गई एक नई लाइन “जनजातीय गौरव कॉरिडोर” की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट शुरू की गई है. यह जानकारी सरकार ने बुधवार को लोकसभा को दी.

एक लिखित उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले कॉरिडोर के तहत पहचान की गई परियोजनाओं की डीपीआर पूरी तरह से या आंशिक रूप से ओडिशा में पड़ते हैं. जिसमें राज्य सरकारों, जनप्रतिनिधियों और संगठनों/रेल उपयोगकर्ताओं/आदिवासी लोगों आदि सहित विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श शामिल है.

उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने और आने वाले वर्षों में ऐसे क्षेत्रों में रेल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में 70 हजार करोड़ रुपये की लागत से ‘जनजातीय गौरव कॉरिडोर’ के रूप में नई लाइन का एक कार्य प्रदान किया गया है.

अश्विनी वैष्णव ने कहा, “परियोजनाओं का मूल्यांकन डीपीआर में लाए गए मापदंडों के आधार पर किया जाता है. जिसमें ट्रैफिक अनुमानों और सामाजिक-आर्थिक लाभों सहित विभिन्न मापदंडों को शामिल किया जाता है.”

झारखंड के लिए जनजातीय गौरव कॉरिडोर के तहत रेल बजट में 284 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इससे गुमला और सिमडेगा इस कॉरिडोर में शामिल होकर देश के रेल मानचित्र पर अपनी जगह बनाएंगे. इसके तहत पिस्का, गुमला, बलरामपुर, कोरबा आदि क्षेत्रों को जोड़ने की योजना है.

रेल बजट के बारे जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा आबादी को रेल से कवर किया जाए. यही वजह है कि अबतक का सर्वाधिक पूंजीगत व्यय इस बार के रेल बजट में किया गया है. सरकार की पहली प्राथमिकता रेलवे की आधारभूत संरचना को मजबूत करना है.

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