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त्रिपुरा में जनजाति सुरक्षा मंच ने की डिलिस्टिंग की मांग

सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा समर्थित एक संगठन- त्रिपुरा जनजाति सुरक्षा मंच (Tripura janjatiya surksha manch) ने राज्य और केंद्र सरकार से यह मांग की है कि वे उन लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दें, जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया है.

संगठन ने 25 दिसंबर यानी क्रिसमस वाले दिन रैली निकालने का फैसला किया है. इस रैली के दौरान संगठन अपनी मांग का प्रसार करेगी.

संगठन की ये भी मांग है की धर्म परिवर्तित आदिवासियों को सरकार की कोई आर्थिक और सामाजिक सहायता ना दी जाए.

एसएम समन्वयक शांति विकास चकमा ने कहा, “त्रिपुरा सहित देश के विभिन्न राज्यों में आदिवासी लोग आरक्षण के आधार पर नौकरियों और शिक्षा की तलाश कर रहे हैं. अनुसूचित जनजाति की सूचि में नामांकन के समय एक आदिवासी को अपने धर्म का उल्लेख करना होता है. लेकिन बाद में कुछ मामलों में यह पाया गया कि उन्होंने इसे बदल दिया है, जो कानून का उल्लंघन है.”

इससे पहले भी गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और असम में भी इस तरह की मांग देखने को मिली है.

हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर में धर्मांतरित आदिवासियों की डिलिस्टिंग को लेकर ‘डी-लिस्टिंग महासम्मेलन’ का आयोजन किया गया था. इसके अलावा इस सम्मेलन में आरक्षण और सारी सुविधाएं बंद करने की मांग भी की गई थी.

RSS से जुड़े संगठन लंबे समय से आदिवासी इलाकों मे हिंदुत्व का प्रचार करने के लिए काम कर रहे हैं. इनका मानना है की एक आदिवासी वही है जो हिंदु धर्म को मानता हो.

ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत होगा की संगठन आदिवासी इलाक़ों में डिलिस्टिंग के बहाने धर्म परिवर्तन को सेंटर स्टेज पर लाने की कोशिश कर रहे है.

डिलिस्टिंग से ज्यादा आदिवासी इलाकों में अभी जल, जंगल, ज़मीन और संवैधानिक और क़ानून हक पर ध्यान देना आवश्यक है. जिसके लिए आदिवासी सदियों से लड़ते आ रहे हैं.

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