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झारखंड के मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना में आदिवासी रेजिमेंट का प्रस्ताव रखा

झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने मंगलवार को भारतीय सेना में एक जनजातीय रेजिमेंट (Tribal Regiment) की स्थापना का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि इस रेजिमेंट के निर्माण से आदिवासियों को न केवल सेना में बल्कि देश भर में एक अलग पहचान मिलेगी.

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय में पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल रामचंद्र तिवारी और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की. उन्होंने अधिकारियों से ऐसे तरीकों पर काम करने के लिए कहा जिनसे आदिवासियों को सेना और भारतीय सशस्त्र बलों की अन्य शाखाओं में भर्ती करने में सुविधा हो.

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासी युवा कई वर्षों से भारतीय सेना में सेवा कर रहे हैं. उन्होंने सेना से यह भी आग्रह किया कि आदिवासी युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधिक अवसर दिया जाए.

लेफ्टिनेंट जनरल तिवारी ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि सेना अपने स्थानीय जीओसी (General Officer Commanding in chief) के माध्यम से आदिवासियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें सेना में भर्ती के लिए तैयार करेगी.

इस बैठक में जीओसी-इन-सी ने भी एक प्रस्ताव रखा. यह प्रस्ताव पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए झारखंड में पारिस्थितिक प्रादेशिक सेना (Ecological Territorial Army) के गठन से संबंधित था.

इकोलाजिकल टेरिटोरियल आर्मी में रिटायर्ड सैनिक होते हैं, जो पर्यावरण के उत्थान के लिए काम करते हैं. चंपई सोरेन ने इसके लिए सेना को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है.

मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अलग-अलग समीक्षा बैठकें कीं और उन्हें निर्देश दिया कि वे इस बात का ध्यान रखे कि आदिवासियों और गरीबों को प्रत्येक योजना का उचित लाभ मिले.

शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्होंने आदिवासी बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने पर जोर दिया.

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी पांचों लोकसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने जीत हासिल की है.

झारखंड के मुख्यमंत्री जानते हैं कि राज्य में विधानसभा चुनाव भी ज़्यादा दूर नहीं है. और झारखंड विधानसभा की 81 सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इसलिए वे आदिवासियों को खुश रखने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.

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