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झारखंड: CM सोरेन ने ‘मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना’ को लेकर की उच्च स्तरीय बैठक

आदिवासी गांवों में कई सारी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं होती है. जिसके कारण आदिवासियों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही आदिवासी गांवों में स्कूल, अस्पताल, सड़क, परिवाहन सेवाएं नहीं है और जो है वो गांवों से कई किलोमीटर दूर होता है. जिसके कारण आदिवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने पर समय पर इलाज नहीं हो पाता और बच्चों की पढ़ाई भी अधुरी रह जाती है.

इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए परिवहन सेवा से जुड़ी एक योजना शुरु करने का प्रस्ताव दिया है.

राज्य के सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में सड़क परिवहन और आवागमन व्यवस्था को बेहतर बनाने पर सरकार का विशेष जोर है. इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों को प्रखंड, अनुमंडल और जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना शुरू की जानी है ताकि दूरदराज के गांव में रहने वाले लोगों को सुलभ परिवहन व्यवस्था उपलब्ध हो सके.

मुख्यमंत्री सोरेन की इस योजना को शुरू करने के पीछे यह उद्देश्य है की झारखंड के सारे गांवों को एक दूसरे से परिवहन की सहायता से जोड़ा जा सके और वह लोग एक जगह या एक गांव से दूसरे गांव में जल्दी पहुंच सके.

योजना के पहले चरण के लिए बैठक

इस योजना की प्रकिया को शुरू करने के लिए सीएम सोरेन ने मंगलवार को एक बैठक बुलाई थी. जिसमें मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना के पहले चरण में कितनी बसें चलेगी, कौन- कौन से रास्ते को जोड़कर उस पर बसें चलाई जाएंगी आदि विषयों पर चर्चा हुई.

इस बैठक के हिसाब से पहले चरण में 250 बसें चलाई जाऐंगी ताकि दूर दराज के गांवों को परिवहन सेवा के जरिए आपस में जोड़ा जा सके.

मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा है की राज्य के ग्रामीण और सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में सड़क परिवहन एवं यातायात व्यवस्था को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को ब्लॉक, उप-मंडल और जिला मुख्यालयों से जोड़ना है ताकि दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोगों को सुलभ परिवहन प्रणाली मिल सकें.

योजना के फायदे

ऐसा दावा किया जा रहा है की इस सार्वजनिक परिवहन योजना का उद्देश्य न केवल वरिष्ठ नागरिकों, स्कूल और कॉलेज के छात्रों, विकलांग व्यक्तियों बल्कि एचआईवी से पीड़ित लोगों और विधवाओं को भी लाभ पहुंचाना है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि झारखंड राज्य के लिए काम करने वाले सभी क्रांतिकारियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा.

योजनाओं से समाधान की उम्मीद

इस योजना से ग्रामीण इलाकों में गहरा प्रभाव पड़ने की उम्मीद जाताई जा रही है क्योंकि झारखंड की अनुमानित आबादी का 70 प्रतिशत से अधिक जो कि वर्तमान में करीब चार करोड़ है, ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जिसमें खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा.

इसके अलावा मुख्यमंत्री सोरेन ने बताया है कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद बसें चलाने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू होगी और उसके बाद वर्क परमिट जारी किए जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि नवंबर-दिसंबर 2024 में होने वाले राज्य चुनावों से पहले ऐसा होगा या नहीं यह अनिश्चित है.

बैठक में उपस्थित लोग और परिवहन विभाग ने बताया है की अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों, साप्ताहिक बाजारों, स्थानीय बाजारों और रेलवे स्टेशन स्थानों जैसे प्रमुख सार्वजनिक स्थानों को ध्यान में रखते हुए बस मार्गों की सावधानीपूर्वक योजना बनाई जाएगी.

इसके साथ ही पहुंच को और बढ़ाने के लिए एक मोबाइल-आधारित एप्लिकेशन लॉन्च किया जाएगा. जो ग्रामीणों को वास्तविक समय पर बस स्थान की जानकारी प्रदान करेगा. इसे जानकारी की कमी के कारण बसों की प्रतीक्षा करने की असुविधा को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना के अंतर्गत निर्धारित मार्गों पर बस ऑपरेटरों को वाहन खरीद पर सब्सिडी मिलेगी और यह ध्यान देने वाली बात है कि इस योजना को शुरू करने में भी थोड़ा समय लगेगा.

इस योजना से भले ही परिवहन सेवा बेहतर हो सकती है और दूरदराज के गांवों को आपस में जोड़ा जा सकता है. लेकिन इस बात से भी नहीं मुकरा जा सकता है की आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और जो है वो इन इलाकों से दूर है.

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